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उत्तराखंड ने अपना सांस्कृतिक ‘हीरा’ खो दिया : बहुगुणा

उत्तराखंड ने अपना सांस्कृतिक ‘हीरा’ खो दिया : बहुगुणा
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गढ़ निनाद न्यूज़* 18 जून 2020

नयी दिल्ली: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कुमांउनी के मशहूर गायक हीरा सिंह राणा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि उत्तराखंड ने श्री राणा के रूप में अपना सच्चा ‘हीरा’ खो दिया है।

श्री बहुगुणा ने बुधवार को चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी समिति के श्री हीरा सिंह राणा की स्मृति में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि श्री राणा के निधन से उत्तराखंड ने सांस्कृतिक जगत का एक सच्चा हीरा खो दिया है।

चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने कहा की श्री राणा का निधन उत्तराखंड के लिए  अपूरणीय क्षति हैं। उन्होंने कहा कि श्री राणा के गीतों में पहाड़ों की पीड़ा पिरोई रहती थी और अब सबकी जिम्मीदरी है कि उनके गीत चिरंजीवी रहे इस दिशा में भरसक प्रयास करने चाहिए। उनकी स्मृति में  भावविभोर  होकर उन्होंने कहा कि “एक बार उन्होंने हीरा सिंह राणा से पूछा था उत्तराखंड बनने से उन्हें क्या मिला उन्होंने गौरव से कहा था कि “पहले हमें कुमांऊनी और गढ़वाली के नाम से जाना जाता था लेकिन अब हमारी पहचान उत्तराखंडी के तौर पर हुई है जिसका हमें बहुत गौरव है।” 

उन्होंने उनके गीतों को उत्तराखंड के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग उठाई और कहा कि वे मुख्यमंत्री से कहेंगे कि उनके गीतों को माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उत्तराखंड की प्रति पक्ष की नेता डॉक्टर इंदिरा ह्रदयेश ने हीरा सिंह राणा को उत्तराखंड की धरती का महान लोकगायक् खो दिया है और उनके निधन से उत्तराखंड का संगीत जगत कमजोर हुआ है।

प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने उन्हें कुमांऊनी भाषा का श्रेष्ठतम लोक कलाकार बताया और कहा कि उन्होंने उनके साथ 100 से अधिक कार्यक्रमों में भागीदारी की और वह उन्हें कभी नहीं भूल सकेंगे। उन्होंने उत्तराखंडी धरती का सच्चा कलाकार बताया। पदमश्री बसंती बिष्ट ने उन्हें कुमांऊनी और गढ़वाली भाषा पर साधिकार गीतों की रचना करने और स्वयं गाने गाने वाला एक जादूगर गीतकार बताया। 

अभिनव, वार्ता


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Govind Pundir

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