5 सितम्बर ” शिक्षक दिवस पर विशेष”
“शिक्षक महिमा”
डॉ सुरेन्द्र सेमल्टी
शिक्षक का कर्जा जो हम पर, चढ़ा रहेगा जीवन भर।
गुरु की पड़ी जब कृपा दृष्टि, दिखी उससे तब सारी सृष्टि।
शिक्षक शिष्य का होता माली, मेहनत से बनाता सुंदर डाली।
कुम्हार बनाता है जैसे घड़ा, शिक्षक का नाम उससे भी बड़ा।
नित्य तरासता है वह बच्चा, उसके बल पर बनता है अच्छा।
तब होता जीवन है सुखमय, किसी तरह का नहीं रहता भय।
चढ़े जो भी उन्नति के शिखर, कर्जा गुरु का है उन सब पर।
शिक्षक मिटाते जीवन से तम, अहिसान नहीं उनके हैं कम।
देते ज्ञान का हैं प्रकाश, जीने की तब बनती है आश।
झुकायें श्रद्धा से सब शीश, मिलता इससे है आशीष।
अतुलनीय शिक्षक का स्थान, हर मानव यह रखे ज्ञान।
गुरु बिन अंधकार संसार, जीवन बनता जिससे है भार।
ले आशीर्वाद गुरु का सब, कष्ट मिटेंगे इससे तब। जीने की
सिखाता शिक्षक राह, काम करने की बढ़ती तब चाह।
कठिन काम बनता आसान, कुण्ठित मन में भरती है जान।
पंख लगते उन्नति के तब, गुरु की कृपा होती है जब।
शिक्षक गुणों की होते खान, हर पल करें उनका सम्मान।
रही भारत की यही परंपरा, धन्य है इसीलिए यह धरा।
रखें गुरु के प्रति श्रद्धा-भक्ति, तब मिलती तन-मन को है शक्ति।
शिक्षक ईश्वर से भी बढ़कर, भाव रखें यह मन में सब नर।