“कृषि वानिकी उत्पादों के बाजार तंत्र” पर एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
गढ़ निनाद न्यूज* 15 सितम्बर 2020
देहरादून। आजकल कृषि क्षेत्र में कृषि फसलों के साथ पेड़ों को उगाने के लिए कृषि वानिकी का प्रचलन है। यह किसानों के लिए एक लाभदायक प्रथा है और पर्यावरणीय स्थिरता को भी बनाए रखती है। कृषि वानिकी अपने उत्पादों के लिए विपणन रुझानों पर पनपती है और निर्वाह करती है। कृषि वानिकी उत्पादों के कुशल और प्रभावी विपणन की निरंतरता व्यापारियों से उत्पादकों और बाजार परिवर्तन के सक्रिय समर्थन पर निर्भर करती है।
कृषि वानिकी उत्पादों के विपणन के रुझान और बाधाओं को ध्यान में रखते हुए विस्तार प्रभाग वन अनुसंधान संस्थान देहरादून ने मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के मानव संसाधन विकास योजना के तहत तकनीकी सहायकों और संस्थान के तकनीशियनों के लिए “कृषि वानिकी उत्पादों के बाजार तंत्र” पर एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए श्री अरुण सिंह रावत महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ने कहा कि संस्थान में सभी तकनीकी सहायक और तकनीशियन बहुमुखी कर्तव्यों में लगे हुए हैं और यह प्रशिक्षण संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है। इसलिए प्रशिक्षण निश्चित रूप से सभी प्रतिभागियों के लिए विशेष रूप से खेत और बाजार सर्वेक्षण के दौरान फायदेमंद होगा । उन्होंने देश में मांग और आपूर्ति के परिदृश्य का भी उल्लेख किया और कहा कि मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बड़े पैमाने पर कृषि वानिकी को अपनाने से भरा जा सकता हैA लेकिन विपणन का रुझान मजबूत और प्रभावी होना चाहिए।
तकनीकी सत्र के दौरान डॉ चरण सिंह ने कृषि वानिकी और कृषि वानिकी उत्पादों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कृषि वानिकी और इसकी जरूरत के बारे में बताया।
श्री डी- पी- खाली ने प्रभावी विपणन के लिए कृषि वानिकी उत्पादों के मूल्य वर्धन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित लकड़ी प्रसंस्करण आधारित प्रौद्योगिकियों और किसानों को उनके लाभ के बारे में बताया।
श्री एच- पी- सिंह ने कृषि वानिकी उत्पादों के विपणन और बाजार सर्वेक्षण की कसौटी और विधि पर बात की। उन्होंने कृषि वानिकी सर्वेक्षण के बारे में भी बताया और इस बात का उल्लेख किया कि इस प्रकार का सर्वेक्षण विशेष रूप से कृषि वानिकी उत्पादन के मूल्यांकन के लिए सहायक है और इसे बाजार के रुझान के साथ जोड़ा जा सकता है। उन्होंने बाजार चैनलों और उनके कार्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया कि विपणन श्रृंखला को सरल बनाया जाना चाहिए ताकि किसान अपने उत्पादों को बेचने के लिए आसानी से बाजार खोज सकें।
कार्यक्रम के सफल समापन के बाद श्रीमती ऋचा मिश्रा ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये।