1 अक्टूबर : अन्तर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर विशेष
वरिष्ठ जनों का करें सम्मान
डॉ सुरेन्द्र सेमल्टी
गढ़ निनाद न्यूज़ * 1 अक्टूबर 2020
वरिष्ठ नागरिक होते जो, दुनिया की ताकत होते वो।
इन लोगों की सेवा का फल, आज नहीं मिलता है कल।
वृद्धजनों का करें सम्मान, इससे बढ़ता खुद का मान।
कभी न करें ऐसी चूक, जो सताये इनको भूख।
उन्होने तुम्हे वर्षों तक पाला, लगाकर खुद के पेट पर ताला।
वर्षों तक कष्ट उन्होने झेले, दुख के दिन रो रो कर ठेले।
रहता नहीं बच्चों को ज्ञान, देते नहीं इन बातों पर ध्यान।
अब ये बूढ़े हो चुके हैं, सीधे नहीं सभी झुके हैं।
दुख के घूंट हर पल पीते हैं, संतान सहारे ये जीते हैं।
शरीर छोड़ रहा है साथ, टूट रहे वृक्षों से जो पात।
कुछ भी कमा अब नहीं सकते, हां मुंह से ये खूब हैं बखते।
परेशान होते बहू और बेटे, कहते हैं हर पल हैं लेटे।
इन्हें चिढ़ाते पोता-पोती, कयी वृद्धों की दुर्गति होती।
पर नहीं यह अच्छी बात, हर पल दे सब उनका साथ।
सबके सिर पर उनका कर्ज, बनता सेवा करना फर्ज।
उन्हें ना भेजें वृद्धाश्रम, यह नहीं संतान का धर्म।
सेवा कर उतारे कर्जा, ऐसा करने में नहिं है हर्जा।
आज जैसा जो बोयेगा फसल, मिलता फल वैसा है कल।
बूढ़े होते हैं एक दिन सब, आंख खुलती सबकी तब।
सेवा से मिलती पितृ ऋण से मुक्ति, उसकी यह अच्छी है युक्ति।
श्रवण जैसा पुत्र बनें सब, ख्याति जग में फैलेगी तब।
कोई भी हों जो वरिष्ठ जन, उनको मानें सब अनमोल धन।
यह भारत की रही परंपरा, पूजनीय इसीलिए यहा धरा।
इस बात का करें सब प्रचार, बनेगा नहिं तब जीवन भार।
1 अक्टूबर : विश्व रक्तदान दिवस
परहित करना मानव धर्म, समझे हर कोई यह मर्म ।
है परोपकार पुण्य का काम, मानव कमाता इससे नाम।
दुनिया में जितने भी दान, सर्वश्रेष्ठ उसमें रक्तदान।
अपना रक्त जब करते दान, तब बचती किसी अन्य की जान।
रक्तदान है जीवन दान, मानव को मिलता इससे सम्मान।
न करके अपनी कुछ परवाह, बढ़ाते हैं औरों की चाह।
मानव जो ऐसे हैं दानी, अमर बनती उनकी है कहानी।
चाहे कोई भी ब्लड ग्रुप हो, बिना हिचक उसको सबको दो।
दान किया गया यह रक्त, आएगा काम वक्त बेवक्त।
इसमें विलंब कभी मत करना, कदापि न देने में डरना।
आज के दिन में ले संकल्प सब, स्वेच्छा से रक्तदान करेंगे अब।
युवा हो या फिर नारी-नर, स्व रक्त का दान करें अब हर।