ओणेश्वर महादेव: जहां निसंतान को मिलता है संतान प्राप्ति का वरदान
गढ़ निनाद समाचार* 10 मार्च 2021
नई टिहरी। विकासखंड प्रताप नगर के सिद्ध पीठ ओणेश्वर महादेव में हर साल की भांति इस साल भी दो दिवसीय शिवरात्रि मेला 11-12 मार्च को लगने जा रहा है। मेले में क्षेत्र से देवी-देवताओं के नेजा निशान और देव डोलियां भी आएंगी। मेले में कोविड नियमों का पूरा पूरा ख्याल रखा जाएगा।
मेले का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण व ब्लॉक प्रमुख जाखणीधार सुनीता देवी करेंगी। समापन में क्षेत्रीय विधायक विजय सिंह पंवार, नगर पंचायत अध्यक्ष भरोसी देवी मौजूद रहेंगे। मेले में महादेव मंदिर की आस्था पर बनी एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रदर्शित की जाएगी। मेले में विकास कार्यों के स्टाल भी लगाए जाएंगे। ताकि सरकार के विकास कार्यों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।
ओणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में–
टिहरी जिले के विकासखंड प्रताप नगर, पट्टी ओण के देवाल में स्थित एक प्राचीन एवं धार्मिक मंदिर है । ओणेश्वर महादेव को भगवान का शिव स्वरूप माना जाता है। मंदिर श्रद्धा,विश्वास , प्रगति और उन्नति का प्रतीक है ।
आपको बता दें कि इस मंदिर में श्रीफल के अतिरिक्त और किसी भी चीज की बलि नहीं दी जाती। ओणेश्वर महादेव मंदिर के पश्वा (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) जिनमें मुख्य रूप से ओनालगांव के नागवंशी राणा एवं खोलगढ़ के पंवार वंशज व अन्य कई प्रमुख जाति पर अवतरित होते हैं। देवता की पूजा के लिए ग्राम सिलवालगांव के भट्ट जाति के ब्राह्मण एवं ग्राम जाखणी पट्टी भदूरा के सेमवाल जाति के ब्राह्मण हैं। पूजा वैसे तो सभी कर सकते हैं किन्तु देवता के पूजा के लिए सिलवाल गांव के मुण्डयाली वंशज भट्ट ब्राह्मण और ग्राम जाखणी के हरकू पण्डित के वंशज की खास जिम्मेदारी मन्दिर पूजा के लिए रहती है।
पुराणों में ओणेश्वर महादेव जी की उत्पत्ति कुज्जू सौड़ ओनालगांव के ऊपर मानी जाती है । लोक मान्यता है कि अल्पायु में मृत्यु होने के कारण उक्त स्थान पर श्री ओणेश्वर महादेव द्वारा कई अलौकिक घटनायें घटित होने तथा स्थानीय लोगों को रात में स्वप्न में तरह-तरह की घटनाओं के अनेक उदाहरण आज भी सुनने को मिलते हैं।
ओणेश्वर महादेव मंदिर के निकट स्थित सूरजकुंड पर स्नान करने का पुण्य हरिद्वार या गंगोत्री के समान माना जाता है । यही नहीं ओणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर पूजा करके निःसंतान स्त्री को संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। मंदिर में श्रावण मास में जहां हजारों भक्त महादेव के दर्शन कर उनका जलाभिषेक करते हैं, वहीं महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में विशाल मेला भी लगता है।
ओणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में किंवदन्ती
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवल गाँव के लोग अपने देवता के नेजा निशान को लेकर देवता के निवास स्थान की ओर जा रहे थे , तो गाँव के लोग थोडा-सा आराम करने के लिए भेकल (काटेदार पेड) के पेड के नीचे बैठ गए। थोड़ा आराम करने के बाद जब गाँव के लोग अपने देवता के नेजा-निशान को उठाने का प्रयास करने लगे तो बहुत जोर अजमाइश के बाद भी निशान को नहीं उठा पाए, तत्पश्च्यात कुछ लोग भागे-भागे अपने गाँव जाकर अपने बुजुर्गो को घटना के बारे में बताते है कि उस स्थान से देवता के निशान नहीं उठ रहे हैं।
जब बुजुर्ग के सपने आए थे ओणेश्वर..
रात्रि को किसी बड़े बुर्जुग को स्वप्न में साक्षात ओणेश्वर ने जटाधारी बालक के रूप में सफेद मिरजई (एक विशेष प्रकार का लम्बा कुर्ता) पहने हुये स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मैं अब उसी स्थान पर हमेशा के लिए रहूंगा, मेरा अब निवास भेकल के पेड़ के नीचे ही रहेगा। यह मेरा अन्तिम निर्णय है।
इस घटना के बाद बुर्जुग व्यक्ति ने सुबह उठकर सभी गांव वालों को इस बात से अवगत करवाया तथा सभी लोगों ने यह निर्णय लिया कि वहीं पर देवता का पूजन किया जायेगा। इस प्रकार ग्राम देवल के उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण शुरू किया। मंदिर के निर्माण के समय वहां पर एक प्राकृतिक रूप से विशाल लिंग भी मिला। इसी स्थान पर आज ओणेश्वर महादेव का विशाल और भव्य मंदिर है जहां शिवरात्रि पर हमेशा विशाल मेला लगता है। क्षेत्र के श्रद्धालुओं की वर्षों से मांग है कि मंदिर को धाम का दर्जा मिले ताकि पर्यटक यहां पर आकर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें।