शिक्षा के हब सेंदुल गांव समेत घनसाली के दर्जनों गांवों को दूरसंचार नेटवर्क की दरकार
कब होगा डिजिटल इंडिया का सपना साकार
घनसाली। लोकेंद्र जोशी। घनसाली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत घनसाली और बालगंगा तहसील के दर्जनों गांवों में दूरसंचार और नेटवर्क की समस्या के समाधान को लेकर छात्र, अभिभावक, प्रतिनिधि सीएम से लेकर पीएम तक गुहार लगाने के बावजूद कोई सुधार होते नहीं दिखता है। कनेक्टिविटी न होने से सबसे ज्यादा असर कोरोना काल में ओं लाइन पढ़ाई लिखाई करने वाले बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है। गढ़ निनाद ने भी कई बार इस समस्या को उजागर किया है। लेकिन हाल वही ढाक के तीन पात जैसी है।
यह इस क्षेत्र का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है कि यहां बालगंगा और सेंदुल सहित 2 स्नातकोत्तर महाविद्यालय, एक इंटरमीडिएट कॉलेज, एवं भीमराव अम्बेडकर छात्रावास तो हैं लेकिन दूरसंचार व नेटवर्क न होने के कारण सब हाथ मसोसकर रह गये हैं। सूचना क्रांति के इस दौर में प्रधानमंत्री जी के डिजिटल इंडिया के सपनों को
दूरसंचार विभाग जहां पलीता लगाने में लगा है, वहीं देश का भविष्य कहलाने वाले बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं।
वैसे तो भिलंगना ब्लॉक के लगभग हर गांव में नेटवर्क की समस्या है परन्तु सेंदुल, केमर सहित लगभग 2 दर्जन से अधिक गांवो में तो बुरा हाल है। हर तरफ थक हार कर सेंदुल गांव के बच्चों ने प्रधान मंत्री के नाम खुला पत्र भेज कर नेटवर्क सुविधा की मांग की है। अपने पत्र में बच्चों ने लिखा है कि ” गांव में नेटवर्क न होने के कारण हम बहुत परेशान हैं। और जीवन अंधकारमय हो गया है। लिखा कि अध्ययन करने में बहुत कठिनाइयां हो रही है। इसलिए अनुरोध है कि हमारे सैंदुल गांव में मोबाइल टावर लगा कर नेटवर्क की सुविधा से जोड़ने का कष्ट करें।”
आपको बताते चलें कि सेंदुल गांव में दो-दो महाविद्यालय, एक इंटर कॉलेज के साथ साथ, भीमराव अम्बेडकर छात्रावास और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का धर्मशाला व पेट्रोल पंप स्थित है। यह गांव, घनसाली सेंदुल बूढ़ा केदार, मोटर मार्ग, घनसाली से सेंदुल- पटूड गांव मोटर मार्ग और घनसाली सेंदुल प्रतापनगर मोटर मार्ग का केंद्र बिंदु भी है। जो कि भिलंगना और बालगंगा नदी के संगम तट पर बसा हुआ, टिहरी बांध की विशाल झील का वर्तमान में अंतिम गांव है जो घनी आबादी को जोड़ता है।
भिलंगना विकासखंड के प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष उपेन्द्र मैठाणी, एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता चन्द्रकिशोर मैठाणी का कहना है कि सेंदुल गांव घनसाली विधानसभा के अंतर्गत बालगंगा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बालिका संस्कृत महाविद्यालय सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों का मुख्य केंद्र है। सेंदुल गांव से घनसाली विधानसभा के अलावा प्रतापनगर विधानसभा के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। यहीं से बड़ी संख्या में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं।
इसके अलावा वैश्विक महामारी के इस कठिन समय में कोविड केयर सेंटर भी इसी गांव में है। सेंदुल गांव में विभिन्न शिक्षण संस्थानों से जुड़े शिक्षकों की बड़ी संख्या है और महामारी में वे लोग चाहकर भी नेटवर्क के अभाव में ऑनलाइन अध्यापन कार्य नहीं कर कर सकते हैं। बालगंगा महाविद्यालय के उप प्रबंधक प्रशांत जोशी, आशीष जोशी, पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अब्बल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य आनंद ब्यास कहते हैं कि, वैश्विक महामारी के समय मे पूरे देश में ऑनलाइन क्लासेस चल रही है। किन्तु हमारे क्षेत्र के छात्र छात्राओं को नेटवर्क की कमी के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है। उन्होंने मांग की है कि सेंदुल गांव सहित क्षेत्र में नेटवर्क सुविधा हेतु मोबाईल टावर लगाए जाएं। इसके सम्बन्ध में स्थानीय प्रशासन, क्षेत्रीय विधायक के साथ-साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी कई बार अवगत करवाया गया है, किन्तु समस्या जस की तस है। जिस कारण छात्र छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है।
कतिपय देखा गया है कि, नेटवर्क न होने के कारण महाविद्यालय के छात्र छात्राओं सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में यहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अध्ययन अध्यापन हेतु जंगल की ऊंची चोटियों पर जाना पड़ता है। नहीं तो नेटवर्क के अभाव में छात्र छात्राएं राष्ट्रीय प्रोग्राम ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहते हैं। गढ़ निनाद समाचार ने कई बार क्षेत्र की इस बड़ी समस्या को प्रकाशित किया है।
नेटवर्क की समस्या को लेकर तत्कालीन उपजिलाधिकारी “आईएएस. संदीप तिवारी” के द्वारा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल और शासन को जो सूचना भेजी गई थी उसमें सेंदुल गांव का नाम भी शामिल है।
अब देखना यह होगा कि देश के प्रधानमंत्री तक बच्चों का संदेश पहुंचता है कि नहीं? और अगर उनकी बात पहुंचती है तो क्या यहां नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी ? वर्षों पुरानी इस नेटवर्क की समस्या से निजात कब मिलेगी इस ओर सबकी निगाह लगी है।