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टिहरी के सबक उत्तराखण्ड के लिए

टिहरी के सबक उत्तराखण्ड के लिए
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विक्रम बिष्ट 

नई टिहरी। राष्ट्रहित के नाम पर आमजन की भू-संपत्ति छीन लेने की सरकारी निरंकुशता के खिलाफ जागरुकता बढ़ी, विस्थापितों का पुनर्वास इसका नतीजा है। धीरे-धीरे इसमें और सुधार हुआ और जीवन स्तर में पर्याप्त सुधार और संभावनाओं से भरी-पूरी पुनर्वास नीतियां बनीं।

इसके विपरीत नीतियों को आदर्श तरीकों से धरातल पर उतारने के लिए ईमानदार संवेदनशील कारगर तंत्र गठित करने की कोशिशें नजरअंदाज की जाती रही हैं। संवेदनहीन, पक्षपाती, भ्रष्ट तंत्र ऐन केन प्रकारेण विस्थापन को पुनर्वास का पर्याय मानकर काम करता रहा आया है। 

बड़ी विकास परियोजनाओं के विरोध और इन प्रभावितों के समुचित पुनर्वास के लिए लगातार आंदोलन होते रहे आये हैं। उत्तराखंड को अभी यमुना से लेकर काली तक कई मझौली बड़ी पनबिजली परियोजनाओं की प्रसव वेदना पीड़ा से गुजरना है, टिहरी के सबक याद रखने जरूरी हैं।

टिहरी में परियोजना निर्माण की शुरुआत में बांध विरोध, पुनर्वास, पर्यावरण, रोजगार को लेकर लगातार छोटे बड़े आंदोलन हुए हैं। इनके काफी अच्छे परिणाम भी रहे हैं। अनिश्चिय के कुहासे में नई पीढ़ी के सपने का त्रासद मजाक भी बना और जमकर श्वेत श्याम ठगी भी हुई हैं।

राज्य की जवाबदेही की बढ़ती चेतना के विपरीत निरंकुश राज्य यदि टिहरी जैसी परियोजना बनाता तो आमजन को किसी नरक से गुजरना पड़ता ? राज्य की सदेच्छा के बावजूद उसके पक्षपाती भ्रष्ट तंत्र ने आवश्यकता के न्याय पूर्ण समाधान की मांग को कैसे अंतहीन समस्याओं में बदल दिया ? टिहरी में इसके अनंत उदाहरण मौजूद हैं। 

पुनर्वास नीति न बनी होती तो ‘पुश्तैनी घर का मुआवजा मिला मात्र 4247 रुपये। ‘  ‘ टिहरी बांध के विस्थापितों का सरकारी वायदों से भरोसा उठा’  ऐसी खबरें भी नहीं बनतीं । लेकिन राजनीति ने निराश ही किया है । समाज का नेतृत्व और मार्गदर्शन करने वालों (?) का दायित्व था कि वे नई टिहरी को बेहतरीन संभावनाओं वाली कृति बनवाने के प्रयास करते।  नरेंद्र नगर से जिला मुख्यालय 1960 के आसपास टिहरी शिफ्ट होना था। टिहरी बांध निर्माण और रेलवे हेड के दूरी के नाम पर मामला लटका रहा । विस्थापित नहीं आ रहे थे तो जिला मुख्यालय नई टिहरी लाया गया। टिहरी तहसील और अन्य कार्यालय भवनों पर जिला कार्यालय आदि स्थापित किए गये। फिर शुरू हुआ नई टिहरी को पुनर्वास बस्ती और समरथों की कुश्ती मैदान बनाने का काम! एक महास्वप्न  की भ्रूण हत्या के साथ।– जारी


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Govind Pundir

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