पौराणिक त्रिवार्षिक सेम मुखेम मेले के अंतिम दिन कड़ाके की ठंड के बावजूद उमड़े श्रद्धालु
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“पौराणिक सेम मुखेम मेले का आयोजन 26 नवंबर से”
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टिहरी * गढ़ निनाद ब्यूरो, 28 नवंबर 2019
सेम मुखेम में मंगलवार से मेला शुरू हो गया। सेम नागराजा के दर्शनों के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। रात्रि को सेम मुखेम मंदिर में होने वाले रात्रि जागरण के लिए देव डोलियां भी पहुंचनी शुरू हो गई हैं। बुधवार विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल मेले का शुभारंभ करेंगे। हर तीसरे वर्ष होने वाले सेम मुखेम मेले में पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और देहरादून जिलों से बड़ी संख्या में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है। दो दिवसीय इस मेले की प्रथम रात्रि को होने वाले रात्रि जागरण कार्यक्रम का खास महत्व है। कड़ाके की ठंड में श्रद्धालु मंदिर के प्रांगण में भजन-कीर्तन के साथ पूरी रात कृष्ण लीला में तल्लीन रहते हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय पोखरियाल ने भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की।
उत्तरकाशी के बड़कोट से महासु देवता की डोली मडभागीसौड़ पहुंच गई है। मुखमालगांव से नागराजा की डोली मंगलवार सुबह सेम मुखेम पहुंचेगी। इस मौके पर पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी, ब्लाक प्रमुख प्रदीप रमोला, जिला पंचायत सदस्य रेखा असवाल, प्रधान नत्थी सिंह, मुरारी रांगड़, जसवीर कंडियाल, शिवम चमोली, धनवीर रावत, अनिल मटियाल, संजय रमोला व सौरभ आदि उपस्थित रहे।
यह है मान्यता
सेम मुखेम में भगवान श्रीकृष्ण को नागराजा के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि पूर्व में जब कृष्ण भगवान ने यहां पर अवतार लिया था, तो वीरभड़ गंगू रमोला से उन्होंने रहने के लिए भूमि मांगी थी। लेकिन तब गंगू रमोला ने उन्हें भूमि देने से मना कर दिया। गंगू रमोला की कोई संतान नहीं थी। इसके बाद गंगू रमोला के स्वप्न में भगवान श्रीकृष्ण ने दर्शन देकर उसे दो पुत्रों की प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद गंगू रमोला ने श्रीकृष्ण को सेम मुखेम में भूमि प्रदान की। जिस पर भगवान ने अपनी रास लीला रचाई। तब से ही इस स्थान पर हर तीसरे वर्ष 11 गते मंगशीर को मेले का आयोजन किया जाता है।