विवाह के लिए गुण मैत्री की अपेक्षा ग्रह मैत्री प्रधान होती है: 36 में से 34 गुण मिलने पर भी हो जाता है तलाक-आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल
ऋषिकेश। 14 जनवरी उत्तरायण मकर सक्रांति से मंगल कार्यों की शुरुआत हो गई है। सनातन धर्म परंपरा में विवाह का मूलाधार कुंडली मिलान है जिसमें जरा सी चूक होने पर पूरा जीवन नर्क बन जाता है।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल से आज इस संबंध में संवाददाताओं ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि आजकल लोग अपने आप कुंडली मिलान में जाकर गुणों को मिला देते हैं और विवाह कर देते हैं अथवा ज्योतिष का पूरा ज्ञान न रखने वाले पंडितों से पूछते हैं वह भी गुणों को देखते हैं अरे 36 में से 34 गुण मिल रहे हैं 33 मिल रहे हैं 32 मिल रहे हैं 28 मिल रहे हैं और बस ग्रहों पर ध्यान नहीं देते हैं और देते भी हैं तो सिर्फ देखते हैं मंगली तो नहीं है बस विवाह की अनुमति दे देते हैं और 99% लोगों का जीवन नरक बन जाता है।
कुंडली और हस्तरेखा विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर आचार्य घिल्डियाल अफसोस जताते हैं कि लोग लाखों रुपए शादी पर खर्च करते हैं परंतु कुंडली मिलान करने के लिए सस्ते से सस्ता पंडित ढूंढते हैं। स्पेशलिस्ट से नहीं दिखाते हैं। परिणाम स्वरूप तलाक हो जाना, संतान का ना होना, पति का दिवालिया हो जाना अथवा पत्नी का बीमार हो जाना, नौकरी व्यापार खत्म हो जाना ,कोई गंभीर बीमारी लग जाना आदि समस्या के बाद ज्योतिषी के पास जाते हैं तब पता चलता है कि कुंडली मिलान में गड़बड़ी हो रखी है।
डॉक्टर घिल्डियाल ने कहा कि गुणों का मिलान उतना आवश्यक नहीं है जितना ग्रह का मिलान है। केवल मंगली दोष होने से कुंडली खराब नहीं हो जाती है। मंगल तो अमंगल कर ही नहीं सकता है बस उसकी समीक्षा सही होनी चाहिए और जब शादी का आधार मजबूत हो जाएगा तो आगे की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।
इसलिए विवाह से पूर्व चाहे प्रेम विवाह ही कर रहे हो अवश्य कुंडली दिखा देनी चाहिए उससे समय पर मार्गदर्शन प्राप्त हो जाता है और पूरा जीवन सुखी और संपन्न हो जाता है। आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल यह भी कहते हैं कि लोग उनके पास बच्चों की कुंडली लेकर तब आते हैं जब उनका कैरियर बिना किसी मार्गदर्शन से चुना जाता है और वह नौकरी के लिए इधर-उधर भटकते हैं जबकि हाई स्कूल में ही बच्चे के ग्रहों के हिसाब से यदि उसका कैरियर चुना जाए तो परिश्रम और भाग्य दोनों एक दिशा में कार्य करने की वजह से वह ऊंचाइयों को छू लेता है इसलिए कुंडली का मार्गदर्शन समय पर लेना बहुत आवश्यक है।
आपको बता दें कि आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत हैं। आपने वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले सटीक भविष्यवाणी करने पर वर्ष 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त तो किए ही साथ में 2015 से 2020 तक लगभग सभी तत्कालीन मुख्यमंत्रियों द्वारा भी सम्मानित हैं और किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।