घनसाली क्षेत्र में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने हरेला पर्व पर किया वृक्षारोपण
घनसाली से लोकेंद्र जोशी। घनसाली क्षेत्र के तमाम स्कूल कॉलेजों के छात्र छात्राओं, अध्यापकों एवं स्थानीय लोगों ने हरेला पर्व पर वृक्षारोपण किया। घनसाली सरस्वती शिशु मंदिर, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज घनसाली के छात्र छात्राओं, व्यापार मंडल, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के अलावा ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू की शिक्षिकाओं के द्वारा उपजिलाधिकारी घनसाली के. एन.गोस्वामी की उपस्थिति में घनसाली एवं,फलेंडा गाँव में बड़ी संख्या में वृक्षारोपण कर हरेला पर्व मनाया।
इसके साथ, इंटर कालेज घुत्तू, कुमसिला भिलंग्, बालिका इंटर कालेज बहेड़ा, इंटर कालेज घुमेटीधार, केमरा केमर, चमियाला, बिनकखाल, कोट बिशन बूढ़ाकेदार, नौल बासर , सरस्वतीसैन, चंद्रेश्वर् सैन, कोन्ति किरेथ नागेश्वर सैन, सहित क्षेत्र के सभी छोटे बड़े कस्बों और आस पास के सभी शिक्षण संस्थानों और बन कर्मियों के साथ स्थानीय नागरिकों, समाज सेवियों ने विभिन्न टोलियों के साथ,राजस्व तथा, बन क्षेत्रों में भी बृक्षारोपण किया गया।
पर्यावरण प्रेमी बिलेश्वर झल्डियाल ने अपने चेतावनी भरे संदेश में आगाह करते हुए कुछ इस तरह से कहा कि — जिन पौधों को रोपा जा रहा है, उनको पानी देकर संरक्षण की जिमेदारी भी होनी चाहिए नहीं तो उन्हें नर्सरी से उखाड़ा जाना गलत है। इसलिए वृक्षारोपण के साथ रोपे गए वृक्षों की देखभाल फूलने फलने तक होनी जरूरी है।
राज्य सरकार को इस ओर बहुत गंभीरता से निर्णय लेने की आवश्यकता है कि हमारे द्वारा संरक्षित बन बन क्षेत्रों और हमारे वृक्ष हमारे लिए अभिशापित न हों। स्थानीय नागरिकों को उन पर पूर्ण अधिकार हो। पहाड़ के लोगों का वन और पर्यावरण से हमेशा अटूट रिश्ता रहा है। इसलिए बन कानूनों की आड़ पर, पहाड़ वासियों के विकास कार्यों में आड़े आ रहे बन कानूनों को समाप्त किए जाने आवश्यक हैं।
दूसरी ओर सुदूर मुंबई से कौथिग के मंच के संचालक/अध्यक्ष श्री केशर सिंह बिष्ट ने, उत्तराखंड राज्य- खास कर पर्वतीय क्षेत्रों की ओर अपना इसारा करते हुए, संदेश प्रेषित कर कहा कि, हमे अपने तीज़ और- त्योहारों को भी सरंक्षित रखने की आवश्यकता तो है ही!,साथ ही हरा भरा उत्तराखंड की चिंता करने से अधिक आज, अपनो के हाथों से ही लूटते पिटते उत्तराखंड पर गौर करने की आवश्यकता है।