राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भागीदारी
Dr. Rajeev Rana, Economist.
हाल ही में ताज़ा खबर के अनुसार फिनलैंड की 34 वर्षीया सना मारिन दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री होंगी। हालाकि सना मारिन अकेली सबसे युवा प्रधानमंत्री नहीं है, अपितु कई यूरोपियन व अन्य देशो में 40 वर्ष से कम उम्र के प्रदानमंत्री पद पर कई युवा आये है। जो ये दर्शाता है की इन देशो की जनता ने युवाओ पर ज्यादा भरोसा जताया है जो की उनके देश के विकास में ज्यादा बैतहर ढंग से भागीदारी निभा सकते है, तथा निर्णय लेने में, एवं राष्ट्र निर्माण में सक्षम होंगे। क्योकि आमतौर पर यह माना गया है कि युवा अपने पास बहुत सारी नई सोच, उत्शाहा एवं कौशल समाये हुए है, और ये पुराने प्रबंधकों की तुलना में परिवर्तन के बारे में अधिक आशावादी होते हैं।
कई अन्य देशों के नागरिकों द्वारा युवा प्रधानमंत्री व अन्य वरिष्ठ नेतृत्व को चुना है ताकि वे भी अपने देश के विकास में अहम् भूमिका निभा सके। जिनमे प्रमुख है: अक्टूबर 2017, में चुने गए न्यूजीलैंड के 37 वर्षीय युवा प्रधान मंत्री जैकिंडा अर्डर्न, एवं वर्ष 2019 में चुने गए सल्वाडोर के 37 वर्षीय युवा राष्ट्रपति नायब बुकेले तथा अंडोरा के पूर्व न्याय मंत्री जेवियर एस्पोत ज़मोरा जो की मई 2019 में 39 वर्ष की आयु में फ्रांस और स्पेन के बीच छोटे क्षेत्र की सरकार के प्रमुख बने, व अन्य कई देशो में यह परिवर्तन देखने को मिला। युवा नेता परिणाम-प्रेरित होते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
चीन भी इसमें काफी पीछे रहा है हलाकि चीन एक साम्यवादी देश है। परन्तु चीन में वरिष्ठ नेतृत्व वाले मंत्रीयो की पृष्ठभूमि आमतौर पर सिविल सेवक सरकारी एजेंसियों और विभागों में काम करने वालो से है। राज्य के नेता और कैबिनेट सदस्य, जिन्हें आमतौर पर राजनीतिक दलों में राजनीतिक दलों के साथ ही राजनीतिक दलों और चुनावों में राजनीतिज्ञ माना जाता था, वे भी चीन में सिविल सेवा में आते हैं। सिविल सेवक आवश्यक रूप से कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य नहीं हैं, लेकिन डिवीजन (काउंटी) स्तर और उससे ऊपर के प्रमुख पदों पर 95 प्रतिशत सिविल सेवक पार्टी के सदस्य हैं।
भारत, जिसे हम युवाओं के देश से संबोधित करते है। यहां आमतौर पर राजनीति में युवाओं की भागीदारी कम है। भारत में औसत आयु 25 वर्ष है, एवं जहाँ हमारी संसद लगातार बढ़ती जा रही है वही एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पहली लोकसभा की औसत आयु 46.5 वर्ष थी, जो 10वीं लोकसभा द्वारा बढ़कर 51.4 वर्ष हो गई। तथा 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की औसत उम्र 54 साल से ज्यादा है, एवं आधे से ज्यादा सांसद 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं।
हालाँकि भारतीय राजनीति या संसद में कुछ वर्षो में युवा नेतृत्व आया है परन्तु इनकी संख्या संसद की कुल संख्या से बहुत काम है। इनमें चंद्राणी मुर्मू (Chandrani Murmu) मौजूदा लोकसभा की सबसे कम उम्र की सांसद हैं। उनकी उम्र सिर्फ 25 साल है, जो कि ओडिशा (Odisha) की क्योंझर (Keonjhar) लोकसभा सीट को रिप्रेजेंट करती है। इनके अलावा अन्य 29 वर्षीया नुसरत जहां लोकसभा के लिए चुनी गई हैं। मिमी चक्रवर्ती 30 साल की युवा नेता एवं शफिकुर रहमान बर्क यूपी की संभल लोकसभा की सांसद हैं।
हाल ही में “राष्ट्रीय सांसदों में युवाओं की भागीदारी रिपोर्ट 2018”, के अनुसार 30, 40 और 45 वर्ष से कम आयु के सांसदों के लिए शीर्ष रैंकिंग वाले देशो में प्रथम तीन स्थान पर नॉर्वे, स्वीडन एवं डेनमार्क जैसे देश शामिल है। इसके अनुसार इस रिपोर्ट के शीर्ष में केवल एक ही एशियाई देश शामिल है जिसकी रैंक प्रथम 10 में से 7वें स्थान पर भूटान है।