जन्माष्टमी का व्रत अट्ठारह तारीख को रखा जाएगा-डॉ घिल्डियाल

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महात्माओं का व्रत 19 तारीख को रहेगा

जन्माष्टमी के व्रत पर असमंजस की स्थिति को देखते हुए जनता की मांग पर उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि गृहस्थ लोगों के लिए व्रत 18 को तथा संत महात्माओं का 19 अगस्त को रहेगा।

जारी बयान में डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि 18 अगस्त को दिन भर सप्तमी तिथि है और रात को 9:21 से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है यदि उस दिन रोहिणी नक्षत्र आ जाता तो निश्चित रूप से बहुत बड़ा संयोग बन जाता परंतु गृहस्ती लोग व्रत 18 तारीख को ही रखेंगे क्योंकि कृष्ण पक्ष की अष्टमी सप्तमी युक्त लेने का ही शास्त्रीय विधान है , इसलिए गृहस्ती लोग 18 तारीख को व्रत रखे परंतु शर्त यह है कि रात्रि को भोजन पहले तो 12:00 बजे अन्यथा 10:30 बजे से पहले बिल्कुल भी ना करें जबकि योगी और महात्मा 19 तारीख को ही व्रत रखेंगे।

इसका कारण स्पष्ट करते हुए व्यास गद्दी में आसीन होने वाले आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा पिक क्योंकि भगवान का जब तक जन्म नहीं हुआ था मथुरा में तब तक गृहस्थी लोग प्रार्थना कर रहे थे कि कंस जैसे अत्याचारी से हमें मुक्ति मिले इसलिए उन्होंने भगवान के अवतरण से पहले व्रत रखा और जब भगवान श्री कृष्ण ने अवतार ग्रहण कर लिया तो महात्माओं की समाधि टूटी और उन्होंने दूसरे दिन व्रत रखा जबकि गृहस्थ धर्म वाले लोगों ने उस दिन जन्माष्टमी को खूब त्यौहार की तरह मनाया।

परंतु इस वर्ष न तो रोहिणी नक्षत्र 18 तारीख को आ रहा है और न 19 तारीख को आ रहा है परंतु 19 अगस्त को अष्टमी तिथि उदय व्यापिनी है और बाद में नवमी तिथि लग जा रही है इसलिए केवल संत महात्मा ही उस दिन व्रत रख सकते हैं गृहस्थ धर्म वाले लोग नहीं रख सकते हैं।


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Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

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