सम्पूर्ण जगत की आराध्य देवी है हाट कालीका मैय्या-
गंगोलीहाट श्री 108 महाकाली मन्दिर सरयू और रामगंगा के मध्य स्थित हिमालय की नैसर्गिक प्राकृतिक देवदार वृक्षों से आच्छादित सुन्दर छटा संजोए पिथौरागढ़ जिले में स्थित है । देवलोक के शानदार दर्शन आलौकिक सुन्दर प्राकृतिक गुफाओं की धरती सभी भक्तों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करती है।
भक्तों की हर मुराद को पूरी करने वाली मां कालीका का अद्भुत बरदान सभी को प्राप्त होता है जो भी भक्त सच्चे दिल से मां के दर्शन करता है उसे आलौकिक शक्ति का स्वयं आभास हो जाता है। भारतीय सेना की कर्म व धर्म स्थली के रूप में भी हाट कालीका को जाना जाता है। पाताल भुवनेश्वर, लम्केश्वर, मुक्तेश्वर, चामुण्डा देवी, छिमालदेवी, के दर्शन करने के बाद ही मां कालीका की पूर्ण यात्रा मानी जाती है। नवरात्री को मां के दर्शन करने का बड़ा ही महात्म्य कहा गया है। नवरात्री की अष्टमी मेले में गंगोलीहाट की नैसर्गिक छटा देखते ही बनती है। सारे दुख व संतापो को हरने के लिए श्री महाकाली दरवार गंगोलीहाट के एक बार दर्शन करना चाहिए। सौन्दर्य व प्राकृतिक छटा का भव्य आनन्द उठाने के लिए कुमाऊं मंडल में इससे सुन्दर जगह कहीं भी नहीं है।पंचाचुली, नंदा देवी, जागेश्वर,चंडाक, आदि के दर्शन लम्केश्वर महादेव। धरमुडियां। पहाड़ की चोटी से देखते ही बनता है। जानदेवी का नौला, ब्यालपट खेत जहां पर मां का डोला रात्री में विश्राम करता है शानदार अनुभूति कराता है। आदि शक्ति पीठों में श्रृद्धा व विश्वास का केन्द्र मां कालीका का भव्य मंदिर आस्था विश्वास का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल पर्यटन की दृष्टि से है। जहां पर मन को शांति व आस्था मिलती है।
कहा गया है कि जिसने जीवन में श्री 108 महाकाली दरवार गंगोलीहाट के दर्शन कर लिए उसने जीवन का श्रेष्ठतम तीर्थ कर लिया। साक्षात दर्शन के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था यहां पर रहती है मंदिर में लगी शैय्या की सिलवटों से ही आभास हो जाता है कि वाकई मांता ने रात्रि विश्राम यहां पर किया है। धर्म व आस्था के इस पावन स्थल का वर्णन स्वयं मां सरस्वती अपनी लेखनी से नहीं कर सकती है। भाग्य, व सुख शांति की इस कर्म स्थली में सभी को जरूर एक बार हाट कालीका में शीश नवाना चाहि।
–पं त्रिभुवन उप्रेती ज्योतिष कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड,9410143469