पर्यावरण पर मत करो अत्याचार
कट -कट वृक्ष काटकर , तुम करते हो पर्यावरण का नुक़सान।
फिर दिवस मना -मनाकर खोजते हो समाधान ।।
एक -एक कर तुम वृक्ष लगाओ,, तब जरूरत होने पर काटो दो या चार।
नहीं रूका यदि यह सिलसिला,तो हो जाओगे भविष्य में लाचार।।
कट -कट कर ——————
आने बाली पीढ़ी को तुम, क्या देकर जाओगे हाहाकार।
जल मिलेगा न अन्न मिलेगा,हो जाएगी ,यह धरती बर्बाद।।
कट -कट कर तुम ————–
सोचों समझो जागो सारे, रोक दो यह अत्याचार।
अपने बच्चों को देकर जाओ, स्वच्छ जल और निर्मल आकाश।।
कट -कट कर तुम वृक्ष काट कर , करते हो क्यों पर्यावरण का नुक़सान।।
डा.शशि बाला वर्मा