टिहरी विधायक ने टीएचडीसी के सीएमडी को टिहरी बांध विस्थापितों-प्रभावितों की समस्याओं पर पत्र लिखा
स्थानीय निवासियों को सेवायोजित करने में दिखाई दे रही हैं अनियमितताएं
निदेशक मंडल में स्थानीय जनप्रतिनिधि की सहभागिता सुनिश्चित हो
टिहरी गढ़वाल 21 अप्रैल । टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने टीएचडीसी के सीएमडी को टिहरी वासियों की समस्याओं को लेकर पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार स्थानीय निवासियों को 70 प्रतिशत सेवायोजित किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें अनियमितताएं दिखाई दे रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि CSR पूंजी का अधिकतम लाभ प्रभावितों और विस्थापितों को दिया जाना चाहिए और कॉरपोरेशन की आय का एक निश्चित हिस्सा टिहरी वासियों के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए।
किशोर ने कहा कि टीएचडीसी की कीर्ति और यश अपने अच्छे कार्यों की वजह से ग्लोबल स्तर पर निरंतर बढ़ती जा रही है माँ गंगा इसे जारी रखें । सब जानते हैं कि जनपद टिहरी और उत्तरकाशी के निवासियों ने टिहरी बांध के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया है, लेकिन उन्हें मिलने वाला लाभ अभी तक संतुष्टिजनक नहीं है। वर्ष 2002 में जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया और अटल बिहारी बाजपेयी जी के सहयोग से टीएचडीसी का मुख्यालय ऋत्रिकेश में स्थापित हुआ, लेकिन इस कार्य में विस्थापितों और प्रभावितों के हितों के लिए मेरी महापंचायतों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पत्र के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं-
राज्य सरकार की नीति के अनुसार 70 प्रतिशत स्थानीय निवासियों को सेवायोजित किया जाना चाहिए। नियुक्तियों में अनियमितताओं एवं कदाचार के प्रकरण प्रकाश में आ रहे हैं। CSR पूंजी का लाभ प्रभावितों एवं विस्थापितों को दिया जाय। कारपोरेशन की आय का 12.50 प्रतिशत भाग प्रभावितों एवं विस्थापितों के विकास हेतु प्रदान किया जाए। जीवन की निरंतरता के लिये जल सबसे महत्वपूर्ण घटक है, टिहरी बांध से विभिन्न राज्यों को प्रदान किये जा रहे जलकर का एक निश्चित हिस्सा बांध प्रभावितों एवं विस्थापितों के हितों के कल्याणार्थ प्रदान किया जाय।
कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल में स्थानीय जनप्रतिनिधि की सहभागिता होनी चाहिए। हिमाचल की भांति डायरेक्टर ऑफ पर्सनल राज्य का व्यक्ति होना चाहिए। बांध के ऊपर से प्रभावितों एवं विस्थापितों को 24 घंटे आवाजाही की अनुमति प्रदान की जाय। PSP एवं टिहरी बांध एवं कोटेश्वर बांध में किये जा रहे निर्माण एवं मरम्मत के कार्य बांध प्रभावितों एवं वित्यापितों को ही प्रदान किये जायें। बांध का जलस्तर घटने पर बांध प्रभावितों को रेत बजरी आदि निकालने की अनुमति प्रदान की जाय। स्थानीय बांध प्रभावितों को टिहरी बांध एवं कोटेश्वर बांध में मत्स्य आखेट की अनुमति प्रदान की जाय आदि।
उपाध्याय ने सीएमडी को इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने और समाधान के लिए उचित कदम उठाने की अपील की है और कहा कि इस संबंध में एक बैठक आयोजित करना समीचीन होगा, जिसमें मैं भी उपस्थित रहूंगा।