*भागवत में प्रभु की माखनचोरी की लीला सामान्य घटना नहीं बल्कि समतामूलक समाज के लिए बहुत बड़ी क्रांति थी : व्यास पीठ से आचार्य कृष्णानंद उनियाल
*संसार में श्रीकृष्ण जैसा सतगुणी,रजोगुणी और तमगुणी कोई दूसरा नहीं हुआ – व्यास
*हम जो बात छुपाते हैं वह बढ़ती जाती है जैसे पाप पढता है
*मैं भागवत का ज्ञाता नहीं बल्कि सदा एक विद्यार्थी हूं : आचार्य कृष्णानंद
रिपोर्ट @ सो.ला.सकलानी’निशांत’
टिहरी गढ़वाल 14 जून । श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान कथा यज्ञ में व्यास पीठ से श्रोताओं ने अनेक रोचक कथायें श्रवण की। श्रीमद्भागवत की धर्म कथाओं के अलावा समाज से जुड़ी अनेकों लघु कथाएं भी व्यास जी के मुख से सुनाई गई। विदित है कि चंबा प्रखंड के ग्राम-बड़ा स्यूूटा में अनूप सिंह पुंडीर और उनके सुपुत्र गब्बर सिंह पुंडीर श्रीमद्भागवत ज्ञान कथा यज्ञ करवा रहे हैं। जहां प्रकांड विद्वान आचार्य कृष्णानंद उनियाल जी ने संपूर्ण क्षेत्र को कृष्णमय बना लिया है।
ज्ञान कथा यज्ञ के पांचवें दिन अनेक रोचक कथाएं व्यास पीठ से सुनने को मिली। कृष्ण भगवान की लीलाओं का उल्लेख करते हुए व्यास जी ने बताया कि भगवान के माखन चोरी की घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी बल्कि समतामूलक समाज के लिए एक समसामयिक क्रांति थी। भागवत कथा श्लोकों की विवेचना करते हुए अनेक दृष्टांत व्यास जी ने प्रस्तुत किये। कहा कि मधुसूदन सरस्वती जैसे ज्ञाता, भागवत के प्रकांड विद्वान के समान तो मै कृष्ण तत्व की व्याख्या नहीं कर सकता क्योंकि श्री कृष्ण के बारे में बताना बहुत कठिन है। उन्होंने वाचस्पति मिश्रा के भागवत भाष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि 21 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ लेकिन सांसारिक दायित्व को पूर्ण करने के साथ-साथ वह अपने लेखन कार्य में इतने व्यस्त रहे की पत्नी का नाम तक उन्हें मालूम नहीं था। पत्नी दीपक प तेल डालती थी और वे भाष्य लेखन करते थे। जब उनकी उम्र 72 वर्ष की हो गई तो एक दिन अचानक उन्होंने पत्नी का नाम पूछा तो भाममति नाम विदित हुआ और उन्होंने इस पर भी भाष्य लिखा। भागवत कथा के बीच में एक अन्य रोचक बात उन्होंने कही कि जो व्यक्ति बीती हुई बात को बार-बार स्मरण करता है और अपने दुख को बढ़ाता है उसे मूर्ख कहते हैं। विवेचना करते हुए उन्होंने राजा भोज से संबंधित श्लोक का उदाहरण प्रस्तुत किया,” किं कारणं भोज भवामि: मूर्खम्।” आदि का उल्लेख किया। स्वयं के बारे में जनसमूह को बतलाते हुए कहा कि मैं भागवत का पूर्ण ज्ञाता नहीं हो सकता बल्कि सदैव विद्यार्थी हूं।
आचार्य उनियाल ने कहा कि मनुष्य की करनी और कथनी में अंतर नहीं होना चाहिए क्योंकि ईश्वर सबको देखा है। कहा कि आप सीसीटीवी कैमरे के नजर से बच सकते हो, सीसीटीवी कैमरा कभी भी खराब हो सकता है लेकिन भगवान का कैमरा कभी खराब नहीं होता है।
ग्राम- बड़ा स्यूटा में कथा श्रवण के लिए सुबह से ही श्रोताओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। हजारों की संख्या में समीपवर्ती गांवों,चंबा शहर, नई टिहरी और दूर दराज के क्षेत्र से आए रिश्तेदार और बंधु- बंधावों के बीच व्यास जी कथा वाचन करते हैं। सुबह मूल पाठ के बाद 4 घंटे की कथा कब पूर्ण हुई, जून की गर्मी में भी इसका पता नहीं लगता। आयोजक अनूप सिंह पुंडीर और उनके पुत्र गब्बर सिंह के द्वारा श्रोताओं के लिए उचित व्यवस्था की हुई है। व्यवस्था में संपूर्ण ग्रामवासी और रिश्तेदार मनोयोग से सेवाएं दे रहे हैं और भागवत का पुण्य फल प्राप्त कर रहे हैं। हजार से ऊपर की क्षमता का पंडाल 2:00 बजे तक खचाखच बढ़ जाता है। कथा की समाप्ति पर प्रतिदिन श्रोताओ के लिए भोजन की व्यवस्था भगवत प्रसाद के रूप में सम्मानपूर्वक कराई जा रही है। भोजन करने के बाद ब्राह्मणों, कन्याओं को अनूप सिंह पुंडीर अपने हाथ से रोज दक्षिणा भी प्रदान कर रहे हैं।
व्यास जी ने कथा वाचन में विप्र, धेनु और कन्या पक्ष को मजबूती के साथ रखा। बताया कि वे स्वयं भागवत की कथाओं से प्राप्त दक्षिणा का एक भाग नियमित गौ रक्षा,संवर्धन और सेवा के लिए अलग कर रख लेते हैं और विभिन्न गौशालाओं को भेंट करते हैं। अवसर पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सुमन रमोला, पूर्व जेष्ठ प्रमुख बेबी असवाल, पूर्व जेष्ठ प्रमुख नरेंद्र चंद रमोला, कवि सोमवारी लाल सकलानी, साब सिंह सज्वाण,सतवीर पुंडीर,कीर्ति सिंह बिष्ट,वचन सिंह गुसाईं शोभन सिंह रावत,राजेंद्र भंडारी,त्रेपन सिंह पुंडीर, ओम प्रकाश कौशल, उत्तम रावत, उमेद सिंह नेगी, शूरवीर चंद रमोला, मातबर सिंह पुंडीर, सत्य प्रसाद कोठियाल, शोभनी धनोला, रूद्रमणि कोठियाल, पुष्पराज उनियाल आदि बड़ी संख्या में लोगों ने कथा श्रवण किया।