जायका परियोजना से वन पंचायतों में मृदा संरक्षण, वृक्षारोपण और आजीविका संवर्धन—डीएम ने दिए प्रभावी आकलन के निर्देश

टिहरी गढ़वाल, 27 सितम्बर 2025। जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल नितिका खंडेलवाल ने शुक्रवार शाम जिला परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबंधन परियोजना (जायका परियोजना) और राज्य की अन्य योजनाओं के मध्य अभिसरण (कन्वर्जेंस) पर विस्तृत चर्चा हुई।
डीएफओ टिहरी डैम वन प्रभाग प्रथम, संदीपा शर्मा ने बताया कि एफएसआई की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश वन मध्यम और खुले श्रेणी में आते हैं। मानव बस्तियों के निकट स्थित होने के कारण इन पर अतिरिक्त जैविक दबाव बढ़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय समुदाय की भागीदारी के साथ उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबंधन परियोजना लागू की गई है। उन्होंने बताया कि धारकोट व नैलचामी रेंज के अंतर्गत 53 वन पंचायतों का चयन किया गया है। अब तक 103 स्वयं सहायता समूहों को ₹51.50 लाख का रिवॉल्विंग फंड वितरित किया जा चुका है।
मसूरी वन प्रभाग की रेंज ऑफिसर लतिका भट्ट ने रायपुर रेंज में किए गए वृक्षारोपण और मसूरी रेंज की नर्सरी में औषधीय एवं हर्बल पौधों के उत्पादन की जानकारी दी। साथ ही मालदेवता में अखरोट नर्सरी, जौनपुर रेंज में ट्रैकिंग रूट विकास, ग्राफ्टिंग प्रशिक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजनाओं का विवरण प्रस्तुत किया।
नरेंद्रनगर वन प्रभाग से किशोर उनियाल ने बताया कि जायका परियोजना के अंतर्गत 65 वन पंचायतों में मृदा संरक्षण कार्य किए गए हैं। इसके अलावा 120 से अधिक स्वयं सहायता समूहों का पंजीकरण हुआ है, जिनके माध्यम से सेब, दूध और शहद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
बैठक में जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि आधारभूत कार्य पूरे होने के बाद योजनाओं का प्रभावी मूल्यांकन किया जाए। उन्होंने अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूहों का पंजीकरण करने और स्थानीय आजीविका संवर्धन पर विशेष ध्यान देने को भी कहा।