पौड़ी जिले के दो स्कूलों में गढ़वाली सरस्वती वंदना शुरू
डायट में पांच दिवसीय सीसीए प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न, 21 शिक्षकों को दिया गया स्थानीय वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण
गढ़ निनाद समाचार * 27 दिसम्बर 2019
जिलाधिकारी पौड़ी धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर जिले के दो विद्यालयों में गढ़वाली सरस्वती वंदना की शुरुआत हुई है। एक प्राथमिक और एक माध्यमिक विद्यालय में गढ़वाली सरस्वती वंदना की शुरुआत हो गई है। सरस्वती वंदना स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ गायी जाएगी। इसके लिए जिले के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्थानीय वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण दिया गया है।
डायट में पांच दिवसीय कार्यशाला संपन्न
मंगलवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) चड़ीगांव में सीसीए (सह पाठ्यक्रम गतिविधियां) की पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कुमाऊं विवि के एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के प्रो. एनपी ढौंडियाल और प्रो. विजया ढौंडियाल ने विद्यालयों में गढ़वाली-कुमाऊंनी सरस्वती वंदना कार्यक्रम की सराहना की।
जिलाधिकारी की पहल का स्वागत
अतिथियों ने जिलाधिकारी व डायट पौड़ी के प्रयासों को लोक भाषा संरक्षण में अहम करार दिया। डायट प्राचार्य डीएस आर्य ने कार्यक्रम संयोजन के लिए पूरी टीम को सराहा। सीसीए प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षित जिले के 21 अध्यापक -अध्यापिकाओं को ‘गढ़वाली वंदना शारदे मां, शारदे मां, सुणिये विधाता यो हमारी पुकार, तेरी वंदना करला, तेरा ध्यान धरला, सुर की देवी, शारदा मां, इनु वर दे’ का स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ प्रशिक्षण दिया गया।
समूहगान दैणु ह्वेजा रे, उत्तराखंड तू
इस दौरान समूहगान दैणु ह्वेजा रे, उत्तराखंड तू-2 का भी प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम समन्वयक डा. महावीर सिंह कलेठा ने बताया कि गढ़वाली सरस्वती वंदना गायन स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ शुरू हो गया है। कार्ययोजना की शुरुआत जनपद के राप्रावि कांडा कल्जीखाल ब्लाक और राजकीय आदर्श इंटर कालेज धुमाकोट नैनीडांडा से हुई है। जिले के अन्य विद्यालयों को भी अभियान से जोड़ने के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं।
आठ लोगों ने दिया वाद्ययंत्रों का प्रशिक्षण
गढ़वाली सरस्वती वंदना गायन में स्थानीय वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण आठ लोगों ने दिया। इनमें शिक्षक दिनेश चंद्र पाठक, विक्रम सिंह, जीआईसी सतपुली के छात्र आकाश सिंह, गोडविन व जितेंद्र और स्थानीय लोक कलाकार दिनेश कुमार, रमेश कुमार व रमेश चंद्र शामिल रहे।
इन वाद्य यंत्रों से संगीत में पिरोई गई है वंदना
पौड़ी। गढ़वाली सरस्वती वंदना में अनेक स्थानीय वाद्य यंत्रों से संगीत पिरोया गया है। इन वाद्य यंत्रों में ढोल-दमाऊ, मसकबीन, डौंर-थाली आदि शामिल हैं।