बुधू की आस: बुधिया को भी कुछ मिलेगा
गढ़ निनाद न्यूज़, नई टिहरी 14 मई 2020।
गोविंद पुण्डीर
माफ करना, बुद्धू आपके सामने बुधवार को हाजिर नहीं हुआ। कोरोनाजीवी एक हाहाकारी पत्रकार ने शुभ मंगल सूचना दी थी कि इस बरसात में बरसेगी शराब।खोटी गली के उस धुरंधर की बातों को हवा में उड़ा कर आपका बुद्धू कोरोना की ऐतिहासिक महाखोज के लिए आगे चलता बना।
थक हार कर लौटा और लेट कर सो गया। अल सुबह बुधिया ने झिंझोड़ कर उठाया। अरे सोते रहोगे सारी दुनिया में हल्ला मचा है। बीस करोड नहीं लाख करोड़ बीस–। बुधू अपनी बुधिया की समझ को समझता है। दुनिया के उन समझदारों जिनके पास समझ के ठेके बंटे हैं उनसे ज्यादा न सही आम बुधिया को आम मुद्दों जितना अच्छे से समझता है।
कुछ बोलता कि बुधिया बोल पड़ी। सुना है सरकार ने हम गरीब गुरबों के लिए खजाना खोल दिया है। पूरे बीस—बी–। क्या बीस बीस लगा रखा है। बीस की गिनती आती नहीं। हां हां तुमको भौत आती है। तभी तो उसका गुस्सा रुंआआ हो गया। हमारे भाग में यही लिखा है।कुछ तो हुआ है यह सोचकर बाहर निकला।
गली में सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते लोग बतिया रहे थे। प्रधानमंत्री जी ने बीस लाख करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है। हिसाब लगा रहे थे कि किसके हिस्से में कितने आएंगे।
भोटू कह रहा था चिंता न करो भइया सबको मिलेगा। हमारी सरकार राष्ट्र की सरकार है। सबका दुख समझती है।
घोटू ने बात काटते हुए कहा, खाक मिलेगा पिछली बार कहा था सब के खाते में पन्द्रह पन्द्रह हजार रुपए आएंगे। क्या खाक—। पलटू ने बात काटी। वह हाल ही में अराष्ट्रवादी दल से राष्ट्रवादी दल में शामिल हुआ था। बोला अरे, तब की बात और थी। वह काला धन था। ऐसे ही सबके खातों में चला आता। उसके लिए ताकत—, भोटू ने आंखें तरेरी और छोटू ने भी। पलटू चुप हो गया। अति समझदार है। पार्टी भोटू की हो या छोटू की। हैं तो भाई भाई। नेता जैसी मुद्रा धारण कर बोला देख बुधिया, भगवान जी ने हम से अन्याय किया है। लेकिन सरकार तो न्याय के लिए भगवान जी ने ही बनाई है। इस बार हमारे भाग जरूर जागेगे। वैसे भी इस बार पांच गुना ज्यादा पैसे आ रहे हैं। पिछली बार चार लाख करोड़ बता रहे थे।
जरा सोच। माना भोटू को दोगुना और छोटू और पलटू को पन्द्रह-पन्द्रह लाख। बाकी बचे पन्द्रह लाख। इस मोहल्ले में हमको मिला कर 97 परिवार आये हैं। पन्द्रह पन्द्रह हजार तो आ ही जाएंगे। और हमको ज्यादा क्या चाहिए? तू तो जानती है कि तेरा बुधू शराबी कबाबी तो है नहीं।
बुधिया परम् संतोषी है। उठी और थोड़ी देर में दो रोटियां और एक नमक ले आई। बुधिया ने दो हफ्ते पहले बताया था कि मुन्सी पाल्टी वाले थैला भर आटा चावल दाल दे गए थे। पड़ोस में तो रंग बिरंगे थैलों में रोज हो जाता था। नेता लोग आते थे फोटू सोटू खिंचाते थे। साथ में वह हाहाकारी तो होता ही था। भोटू -छोटू के तो हमेशा रहे पलटू के दिन कब पीछे थे। बुधिया को सन्तोष तो बुधू को क्या चाहिए!
यही तो सन्तोष है, जो हमको फिर से, जरूर जगदगुरु बनाएगा। संभल कर रहें। सफर करना जरूरी लगे तो सुरक्षा का ख्याल रखें अपना भी और अन्यों का भी।
आपका, बुधू।