कोरोना संकट से जूझ रही पंचायतों को 1 करोड़ का बजट मुहैया कराए सरकार: किशोर
गढ़ निनाद न्यूज़, नई टिहरी, 5 मई 2020।
वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कोरोना संकट के चलते प्रत्येक ग्राम पंचायत को तात्कालिक तौर पर कम से कम 1 लाख रुपये देने की मांग की है। उपाध्याय ने इस बारे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर प्रदेश की ग्राम पंचायतों को वर्तमान संकट से निपटने के लिये विकास कार्यो को जारी रखने के लिए कम से कम एक करोड़ अलग से विकास कार्यों को निर्गत करने का सुझाव दिया है।
उपाध्याय ने पत्र में कहा है कि सरकार ने ग्राम पंचायतों को कोरोना से निपटने हेतु कहा है, लेकिन कहने मात्र से काम थोड़े ही चलेगा, संसाधनों के बिना ग्राम पंचायतें नख-दंत विहीन कोरोना वारियर्र होंगी। यदि उनके पास संसाधन नहीं होंगे तो वे कैसे अपना काम करेंगी।
उपाध्याय ने कहा कि वे लगातार प्रदेश के हर कोने के ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के सम्पर्क में हैं। ये प्रतिनिधि इस समय अत्यंत दबाब में हैं। कोरोना के चलते लोग देश विदेश से वापस घरों को लौट रहे हैं। ऐसे में उनकी व्यवस्था की ज़िम्मेदारी भी स्थानीय प्रशासन ने ग्राम पंचायतों को दे रखी है। यही नहीं बाहर से आने वालों को क्वॉरंटीन करने की व्यवस्था भी उन्हें ही करनी है।
उपाध्याय ने कहा कि कई गावों में सामुदायिक भवन नहीं है और विद्यालय भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इन परिस्थितियों में क्वॉरंटीन किए गए लोगों के खाने-पीने, शौचालयों, नहाने आदि की व्यवस्था कैसे होगी? इन व्यवस्थाओं के लिये धन कहाँ से आयेगा? सरकार को तुरन्त कम से कम रू.1 लाख प्रति ग्राम सभा के लिये इन व्यवस्थाओं के लिये निर्गत करना चाहिये।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि गाँवों में रोज़गार के लिये सरकार को मनरेगा के मानक़ों में सुधार करना चाहिये। उपाध्याय ने कहा कि सभी प्रतिनिधियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि–मनरेगा आदि में *कार्य दिवसों की संख्या कम से कम 200 होनी चाहिये। *दैनिक मज़दूरी रु. 500/- होनी जरूरी है और कृषि कार्यों को भी इसमें जोड़ना समय की आवश्यकता है। हर पंचायत में एक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी भी होना चाहिये।
उपाध्याय केआ मानना है कि अभी तक सरकार के व्यवहार से लगता नहीं है कि, उसने कोरोना से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को निपटने के लिये कोई कार्य योजना या रणनीति बनायी है। अभी तो लगता है, सरकार एक कदम आगे और 100 कदम पीछे जैसी मानसिकता से ग्रस्त है। कहा कि उन्हें भरोसा है, सरकार समय रहते चेतेगी और मुख्यमंत्री फ़्रंट से लीड करते दिखाई देंगे। कहा कि इन सुझावों पर सरकार को तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।