Ad Image

“बेटी नर्स कहलाती है” नर्सिंग पर कविता

“बेटी नर्स कहलाती है” नर्सिंग पर कविता
Please click to share News

देखभाल को सदा मरीजों के, 
घर -घर तक जाती है। 
फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्स कहलाती है।

उपयोग सदा ही  करती है,
वह शारीरिक विज्ञान का। 
देखभाल में ध्यान रखे वह, 
रोगी के सम्मान का। 
कितनी मेहनत संघर्षो से, 
एक नर्स बन पाती है 
फ्लोरेंस की  वह पावन, 
बेटी नर्स कहलाती है।

सदा बचाती है रोगी को, 
दुख, दर्दो, बीमारी से।
भेदभाव को नहीं करे वह, 
नर रोगीऔर नारी से। 
देख बुलंदी को नर्सों की, 
बीमारी  डर जाती है। 
फ्लोरेंस की वह पावन, 
बेटी नर्स कहलाती है। 

देती शिक्षा और सुरक्षा, 
बीमारी से बचने की। 
कला नर्स को आती है, 
रोगी का जीवन रचने की। 
असहाय मरीजों की केवल, 
परिचायक ही तो साथी है। 
फ्लोरेंस की वह पावन, 
बेटी नर्स कहलाती है। 

देखभाल का जिसके अंदर, 
एक अनोखा ग्यान है। 
बीमारो के लिए नर्स तो, 
धरती पर भगवान है। 
दीपक है यदि अस्पताल तो, 
नर्स ही उसकी बाती है। 
फ्लोरेंस की वह पावन, 
बेटी नर्स कहलाती है। 

रचयिता 
किशनू  झा


Please click to share News

admin

Related News Stories