अभिव्यक्ति की कांग्रेसी आजादी
बुधू
दाने-सयाने लोग बताते हैं कि इंदिरा गांधी को विपक्षी दलों की हरकतों के पीछे विदेशी हाथ नजर आता था। माकपा को तो उत्तराखंड क्रांति दल वालों के पीछे अमेरिका की सीआईए खड़ी नजर आती थी। सरकार को खुजली होती है तो विदेशी हाथ के कारण ।
अब कांग्रेस को कांग्रेसियों की पीठ पर भाजपा का हाथ दिख रहा है। ऐसी दिव्य दृष्टि किसी आम कांग्रेसी की नहीं हो सकती है । राहुल जी की ही हो सकती है।
यूं पूर्वोत्तर को भगवा रंग में रंगने वाले हेमंत विश्वा शर्मा और पिछले दिनों भाजपा में गए ज्योतिरादित्य को कांग्रेस अपने घर में बनाए नहीं रख सकी। पायलट पूरी पलटी नहीं खा पाए।
कांग्रेस के 23 लोगों इतनी हिम्मत हो गई कि नेहरू की संतति पर सवाल उठाए। कांग्रेस सोनिया जी, राहुल जी, प्रियंका जी का निजी मामला है। वे जैसे चाहें कांग्रेस को चलाएं। यह कांग्रेस परिवार है। उनको देश की अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता खतरे नहीं लगती है। कहते हैं देश की जनता का मुंह1 बंद किया जा रहा है।
इसलिए वे कांग्रेसियों को मुंह बंद रखने को कह रहे हैं । चुप रहो सवाल मत उठाओ। देख नहीं रहे हम देख नहीं रहे हम अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ रहे हैं । संवैधानिक संस्थाओं को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। यह कांग्रेसी यानी हमारे परिवार की जिम्मेदारी है। तुमको एक अदद अध्यक्ष चाहिए न वह भी दे देंगे। ढूंढ रहे हैं । ऐसा वैसा नहीं चलेगा। बाकायदा मुंडी हिलाने वाला चाहिए। ताकि पार्टी में लोकतंत्र जीवित रहे । अभिव्यक्ति की आजादी बरकरार रहे । चुप रहो । इस आजादी को पूरी आजादी से सोने दो। बेहिचक हमारे कर्णप्रिय नारे लगाओ। यह हमारी अभिव्यक्ति की आजादी है। इसका ख्याल रखो। सुफल मिलेगा । कभी ना कभी।
आपका- प्रिय बुधू।