Ad Image

कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-6 )

कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-6 )
विक्रम बिष्ट
Please click to share News

हापुड़ से रानीखेत, हरिद्वार से बनबसा

विक्रम बिष्ट

वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के हापुड़ से कुछ लोग रानीखेत पहुंचे। एससी और ओबीसी के कुछ युवाओं से मिले। उन्हें बताया कि हापुड़ में उन्होंने मैनेजमेंट का नया कॉलेज खोला है। यहां के छात्रों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। युवक मुफ्त डिग्री मिलने के झांसे में आ गए। अपने शैक्षिक दस्तावेजों उनको सौंप दिए। छात्रों को डिग्री नहीं मिली। मैनेजमेंट वाले समाज कल्याण विभाग से उनकी छात्रवृत्ति ले गए। जनवरी 2020 में एसआईटी की जांच में यह खुलासा हुआ।

दूसरा मामला भी अल्मोड़ा जिले में हापुड़ के किसी मोनार्ड विश्वविद्यालय का है। एसआईटी के हवाले से एक और अखबारी सुर्खी बनी। सूचना के अनुसार हरिद्वार से चेरब जैन नाम के एक व्यक्ति ने बनबसा में जनवरी 2015 में देवभूमि विद्यापीठ शिक्षण संस्थान खोला। छात्रों को प्रवेश देने और बैंक खाता खुलवाने के लिए सिर्फ दो मर्तबा बुलाया गया। फिर चलते बने। दो साल तक 39.50 लाख रुपए छात्रवृत्ति हड़प ली।

देहरादून में भी यह कहानी दोहराई गई। क्या यह महज संयोग है? समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षा महकमा, प्रशासन सब इतने बेखबर कैसे रहे? नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गठित एसआईटी की जांच के बाद ऐसे कई सनसनीखेज मामले सामने आए, जिनमें छात्रवृत्ति हड़पने वाले संस्थानों का वास्तव में अस्तित्व ही नहीं था। हापुड़ से रानीखेत और हरिद्वार से नेपाल बॉर्डर के समीप बनबसा बेरोकटोक-!

लेकिन स्वामी पूर्णानंद कॉलेज की स्थिति एकदम भिन्न है।

कल अवश्य पढ़िए– कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-7)


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories