” किसान धरती में भगवान “
– डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
गढ़ निनाद समाचार*23 दिसम्बर 2020
नई टिहरी।
किसान धरती मे भगवान ,
उसके कारण तन मे जान ।
हवेलियों मे जो हैं रहते ,
वे इनको छोटा हैं समझते ।
भूखे – प्यासे नंग – धड़ंग ,
पल – पल करते रहते जंग ।
बैंक खजाने इनके खेत ,
कंकड़ पत्थर मिट्टी रेत ।
बहाते यहाँ पसीना जब ,
उगता सोना खेतों मे तब !
फिर कुछ बड़े-बड़े इंसान ,
समझे नहीं क्या ये किसान !
छोड़ दें ये जो अपना काम ,
फिर तो सबका काम तमाम !
पीढ़ियाँ सभी कर्जे मे रहती ,
बारी-बारी सब कष्ट सहती !
झेलते सभी प्राकृतिक प्रकोप ,
हारकर भी सदा रखते हैं होप !
तरसती रही सभी पीढियाँ ,
चढ़ न सकी विकास सीढ़ियाँ !
किसान के सब बनें सहारे ,
कष्टों से अब इन्हें उभारें ।
हर मानव पर इनका है कर्ज ,
बदलकर सोच निभायें फर्ज ।
जबतक किसान दुःखी रहेगा ,
हमको कोई अच्छा न कहेगा ।
इस पर सब जन दें अब ध्यान ,
और करायें सबको ज्ञान ।