” सफर – 2020 “
डॉ0 सुरेंद्र सेमल्टी
ऐसा वक्त कभी नहीं ,
जैसे दो हजार सन बीस ।
कोरोना बीमारी ने आकर ,
दिया सभी को पीस ।। 1 ।।
ठण्ड मे बीते जन.- फरवरी,
आधे मार्च मे मचा कुहराम ।
कोरोना की आँधी बही ,
लगा सभी पर जाम ।।2 ।।
आना जाना बन्द हुआ ,
लोग घरों मे कैद ।
कोरोना से जूझते रहे ,
मिला न कोई बैद्य ।। 3 ।।
मुँह पर लगाकर मास्क ,
कर सेनेटाइजर छिड़काव ।
कैसा यह बदलाव है ,
हर एक के दिल का घाव ।।4 ।।
मन्दिर होटल मौल सभी ,
पूर्ण रूप से बन्द ।
अपने घर तक सीमित ,
रही फूलों की सुगन्ध।। 5 ।।
किसी का रोजगार छिना ,
जीवन से गये कुछ हार ।
कुछ ठीक हुये लौटे घर ,
कुछ की बिगड़ी चाल ।। 6 ।।
जहाँ भी जो थे जा रहे ,
दिख रहे बुरे थे हाल ।
ऐसा कभी न था हुआ ,
जैसा हुआ इस साल ।। 7 ।।
बन्द हुये बाजार सब ,
रेल गाड़ियाँ ठप्प ।
काम धाम कुछ है नहीं ,
मार रहे सब गप्प ।। 8 ।।
स्कूलों मे ताले जड़े ,
ऑनलाइन हुई पढ़ाई ।
अच्छे बच्चे पढ़ते दिखे ,
कुछ करते रहे लड़ाई ।। 9 ।।
साहित्यकार अक्सर दिखे ,
साहित्य सृजन मे मस्त ।
डॉक्टर सफाई मीडियाकर्मी ,
परोपकार मे ब्यस्त ।।10 ।।
इन्तजार करते रहे सभी ,
मिला नहीं ठोस उपचार ।
किसी भी भारतवासी ने ,
मानी नहीं है हार ।।11 ।।
ईश्वर से यह है कामना ,
कोरोना मिटाओ तत्काल ।
सुख समृद्धि पायें सभी ,आ रहा इक्कीस का साल ।12।।