बुधू– उत्तराखंड के मुंगेरीलाल
गढ़ निनाद समाचार*20 जनवरी 2021
महात्मा गांधी की कांग्रेस और पहाड़ी गांधी इंद्रमणि बडोनी की यूकेडी की हालत आजकल एक जैसी है, जक-बक। दोनों पार्टियाँ अपनी अपनी फटी पुरानी बाँसुरी की धुन पर खुद ही नाच रही है। आत्म मुग्ध हैं। उनको लगता है कि जनता उनकी तान पर कभी तो नाचेगी।
कांग्रेस तो दशकों राज प्रसाद सुख लेती रही है। आजकल बेचारी है, पर न्यारी है। उत्तराखंड में उसको अगले साल अपने भाग में छींका टूटने की आस है। वह मान रही है कि उत्तराखंडियों
मजबूरी है कि बारी-बारी भाजपा और कांग्रेस को विकास का मौका दिया जाए। जो सत्ता से बाहर उसको विकास दिखाई नहीं देता। सत्ता में विकास ही विकास स्वभाविक है।
यूकेडी की हालत उस अंधे जैसी रही है जिसके गले में फूलों का हार डालें तो वह सांप समझकर निकाल फेंकता है। उसके क्रांति वीर गला फाड़ चिल्लाते हैं राष्ट्रीय पार्टियों चोर हैं। उत्तराखंड को बारी-बारी से लूट रही हैं। इनसे पहाड़ को बचाना है तो हम को लाना होगा। ताकि सनद रहे। कहीं जमीन खाली है?
कोरोना ने यूकेडी के साथ बहुत बुरा किया है। साल भर होने को है इसके नेताओं की फोटू लगी गाड़ी के दर्शन सड़कों पर नहीं हो रहे हैं। खुद तो ये नेता जनता को दर्शन देने से परहेज करते हैं। इसलिए कभी-कभी लोग भ्रम में पड़ जाते हैं कि ये फोटू उत्तराखंड के शहीदों की हैं। माइक जो उटपटांग गानों के बीच शहीदों की याद दिलाता रहता है।
उम्मीद बरकरार है यूकेडी मिशन 2022 मूड में है। नेता सोशल मीडिया पर बहुमत में आकर सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। इधर आप भी अपना झाडू लेकर इसी मूड में है। कांग्रेस का तो यह जन्मसिद्ध अधिकार है। बुधू का मशविरा है कि यह तीनों पार्टियां बराबर सीटें जीत लें। 36-36-36 । बाकी बची भाजपा! 70 सीटों में 108 घटाकर जो बचे उसको भाजपा निर्दलीययों के दलों में बांट लें।
मुंगेरीलाल जिंदाबाद। उत्तराखंड बुधू भी जिंदाबाद।