उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-16
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 12 मार्च 2021।
जनांदोलनों में संस्कृति कर्मियों की सदैव अहम भूमिका रही है। टिहरी में राजशाही के खिलाफ गुणानंद पथिक, चिपको आंदोलन में घनश्याम सैलानी और गिर्दा के जागरण गीत भुलाये नहीं जा सकते हैं। नरेंद्र सिंह नेगी, अतुल शर्मा, बल्ली सिंह चीमा के गीतों की राज्य आंदोलन को तेज धार देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
यह कहना उपयुक्त होगा कि स्वतः स्फूर्त आंदोलन की जुगाली करने वाले देर से जागे बुद्धिजीवियों के विपरीत गिर्दा, नेगी व अतुल शर्मा, चीमा आदि कवियों, कलाकारों ने सही समय पर अपना सही कर्तव्य निभाया।
इस सार्थक अभियान से जुड़ा एक और नाम है उत्तराखंड जन जागरण जत्था। टिहरी परिसर के शिक्षक डॉ. एम.एस. नेगी की अगुवाई में जन जागरण जत्था ने उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक जागर शैली के नुक्कड़ नाटक की सैकड़ों प्रस्तुतियां दी।
इस नुक्कड़ नाटक मंडली में लक्ष्मी नौडियाल, गोवर्धन नौटियाल , रणवीर नेगी, आभा डोभाल, लक्ष्मी बहुगुणा, गिरीश उनियाल, राजकुमार धीमान और यशवंत नौटियाल टिहरी परिसर के छात्र-छात्राएं शामिल थीं। जारी…