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कोविड महामारी के साथ-साथ अब आपदा से निपटने की बड़ी चुनौती!

कोविड महामारी के साथ-साथ अब आपदा से निपटने की बड़ी चुनौती!
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लोकेंद्र दत्त जोशी

गढ़ निनाद समाचार। घनसाली क्षेत्र इस समय कोविड-महामारी के साथ साथ आपदा की मार भी झेल रहा है। जिससे निपटने के लिए पर्याप्त संसाधनों का अभाव दिखता है। जनता और सरकार दोनों खतरों से वाकिफ है! लेकिन व्यवस्था लचर दिख रही है। इस वर्ष मौसम समय से पहले ही बहुत बड़ी चुनौती देकर चला गया।

आंधी तूफान की आशंका बरकरार 

मौसम की पहली बारिश आपदा लेकर आई है। जिसने  ढुंग मंन्दार व नैलचामी पट्टी में भारी तबाही मचाई। इससे ग्रामीणों की कृषि भूमि, पेयजल स्रोत ,रास्ते, दुकानों व सरकारी संपत्ति  को क्षति पहुंची। 

मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार जिला प्रशासन ने क्षेत्र में दिनांक 19 और 20 मई को भारी बारिश और आंधी तूफान की संभावनाओं की आशंका व्यक्त करते हुए हाई अलर्ट घोषित कर दिया। है। थाना घनसाली का बहुत बड़े क्षेत्र में मात्र एक बोलेरो वाहन है जिससे तत्काल बहुत बड़े क्षेत्र में पीड़ितों तक पहुंचने में भारी दिक्कत रहती है।

NDRF,SDRF,ITBP की हो स्थायी तैनाती

केदारनाथ आपदा के बाद से ही समय समय पर   घनसाली तहसील (जिसमें कि बालगंगा तहसील क्षेत्र भी है) क्षेत्र के घुत्तू,,बूढ़ा केदार, नैलचामी आदि स्थानों पर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए समय पर उचित प्रबंध की मांग की जाती रही है मगर आजतक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। 

यह क्षेत्र सीमावर्ती इलाकों को भी जोड़ता है।इसलिए इन स्थलों पर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एन.डी.आर.एफ, एवं एस.डी.आर.एफ. के साथ साथ आई.टी.बी.पी. की टुकड़ियां स्थाई रूप नियुक्त की जानी चाहिए। 

बरसात में गाड़ गदेरे करते हैं भारी नुकसान 

इसके अलावा घनसाली क्षेत्र में नदियों और गाढ़ गदेरों की अच्छी खासी संख्या है। बालगंगा और धर्मगांगा दोनों नदियों के दोनों ओर घनी आबादी और कृषि योग्य भूमि है।और उन पर वर्ष भर प्रयाप्त मात्रा में पानी बहता रहता है। और उसके साथ ही तहसील घनसाली बालगंगा में अन्य कई गाढ़ गदेरे हैं। घनसाली क्षेत्र की गाेनगढ़, आरगढ़, दुंग मंदार, कोटि फैगुल, भिलंग घाटी, ग्यारह गांव और हिंदाव पट्टियों में अनेकों गाढ़ गधेरों में बरसात के मौसम में जल स्तर काफी बढ़ जाता है, जिनको सामान्य तौर पर भी आवागमन में लोगों की जान जोखिम में रहती है। 

आवागमन में होती है समस्या

इन पर पुलों की निर्माण नगण्य होने के कारण, आर पार करना, पैदल चलना और द्वि पहिया वाहनों के साथ साथ, पैदल चलने वाले स्कूली बच्चों, एवं बूढ़े बुजुर्गों को भारी दिक्कतें होती है। यह यह खतरा पूरे सीजन पर बना रहता है। खास कर आपदा के समय में आम जन मानस के साथ साथ शासन प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों में बड़ी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

नए पुलों का निर्माण हो 

लोग पुनः अनुरोध के साथ सुझाव दे रहे हैं कि, क्षेत्र के मोटर मार्ग, गाड़ गधेरों को समय रहते पक्के पुलों से जोड़ने का काम शुरू किया जाए।

नहीं तो मोटर मार्गों के ऊपर नीचे के उचित और उपयोगी स्थलों पर  पैदल पुलों का निर्माण हो, ताकि आपदा के समय पर कम से कम प्रभावित व्यक्तियों तक  पैदल चल  कर ही समय पर पहुंचा जा सके। पूर्व के वर्षों में गंगी गांव और  बूढ़ा केदार पट्टी का कोट गांव इसका उदाहरण है। जहां बड़ी संख्या में जान माल का नुकसान हुआ था।

दर्जनों गांवों में नेटवर्क ही नहीं

दूसरी ओर क्षेत्र के दूरस्थ बूढ़ा केदार थाती कठुड़ के पिंनस्वाड, उर्णी मेड मारवाड़ी, आगर निवालगांव, कोटी अगुंडा , गिंवाली, तोली भिगुन, बिशन थाती, तथा भिलंग पट्टी के गंगी, रिचक, मेंडू सिंदवाल गांव आदि आधे दर्जन से भी अधिक गांव तथा गोनगढ़ एवं आरगढ़ पट्टी के एक दर्जन से अधिक गांव मोबाइल टावरों के काम न करने की शिकायत कई वर्षों से करते चले अा रहे हैं। अस्पतालों की स्थिति सुधारी जा सकती है। प्रतिनिधियों से क्या कहना है सभी जागरूक है ! लेकिन माल समेटने के सिवा उनके पास कोई सोच नहीं है।


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Govind Pundir

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