सेंट किट्स से नई टिहरी तक बाबा चमत्कार
विक्रम बिष्ट*
नई टिहरी। दुनिया में सेंट किट्स नाम का कोई देश है, बोफ़ोर्स काल में पहली बार सुना था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शुभचिंतक एक बाबा ने उस देश को ढूंढा था- नाम था चंद्रास्वामी।
कोलंबस सोने के खजाने भारत की तलाश में नावों के बेडे के साथ अमेरिका पहुंचा था। चंद्रास्वामी बीपी सिंह के बेटे अजय सिंह के बैंक खाते की तलाश में उत्तरी अमेरिका के अल्पज्ञात देश सेंट किट्स में। शायद अपनी अंतर्दृष्टि से।
जार-जरीना के रूस का रासपुतिन हो या हमारे आपातकालीन धीरेंद्र ब्रह्मचारी, बाबा लोगों की तूती बोलती है।
जिस बाबा की कृपा दृष्टि से नई टिहरी स्विट्जरलैंड बनने वाला था, वह फिलहाल वहीं हैं जहां अपने द्वापर युग में रहे थे। भक्तगण तो ऐसा ही मानते हैं। नई टिहरी को बाबा जी का सत्संग एक सरकारी अधिकारी के सौजन्य से मिला था। वह अधिकारी जिसको उनके प्रशंसक नई टिहरी का राजा सुदर्शन शाह मानते थे। बाबा के सत्संग के लिए बौराड़ी के पानी के नलों में उन दिनों बेरोकटोक पानी चलता था। सड़कें और सीढियां लालू यादव की पटना जैसी बन गई थीं। सूने पड़े सारे भवन भक्त जनों से गुलजार हो गए थे।
चार दिन की चांदनी के साथ बाबा की संपत्ति साम्राज्य का विस्तार नई टिहरी और आसपास हो गया। विस्थापितों की जरूरत वाजिब भी हो तो उसमें कतर ब्योंत , बाबा के लिए नियम कानून!
बाद में पता चला कि बाबा उस अधिकारी को टिहरी बांध परियोजना का महाप्रबंधक बनाने का आशीर्वाद दे गये थे। लेकिन अचानक सीबीआई बीच में आ गयी। उस छापे ने नई टिहरी की तरह नये सुदर्शन शाह के सपने भी बिखेर दिए। छापे के विरोध में टीएचडीसी में हड़ताल हो गई। वह भी अपनी किस्म की एक थी।
तमिलनाडु कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तब सी.वी.ओ. थे। फोन पर जब उन्होंने बिना नाम लिए दाढ़ी वाले का जिक्र किया तो समझने में थोड़ा देर लगी। बहरहाल एक फ़ाइल फिर रुक गई। जारी…