निर्दलीय प्रीतम के बाद कांग्रेसी विधायक राजकुमार ने ओढ़ा केसरिया रंग
नई दिल्ली/देहरादून। लगता है बड़ा भाजपा में जनाधार वाले नेताओं की बहुत कमी हो गई है , इसीलिए 2022 के चुनाव के चलते भाजपा अन्य दलों के जनाधार वाले नेताओं की तलाश में जुट गई है और इस मिशन में वह सफल होती भी दिख रही है। कुछ दिन पहले धनोल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार को पार्टी में शामिल करने के बाद आज रविवार को पुरोला के कांग्रेस विधायक राजकुमार को पार्टी में शामिल करने से तो यही संकेत मिलते हैं।
उत्तराखंड में भाजपा अपने मिशन “अबकी बार 60 के पार” में लग गयी है। पुरोला के कांग्रेस विधायक राजकुमार ने आखिरकार दिल्ली में सीएम पुष्कर धामी की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन कर ली है। इस दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी मौजूद रहे।
सूत्रों के अनुसार विधायक राजकुमार ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के सामने देहरादून की एक सीट से टिकट देने की शर्त रखी है। इसी प्रकार प्रीतम सिंह पंवार को भी शायद गंगोत्री सीट के लिए तैयार किया गया हो। क्योंकि गंगोत्री सीट से जिस दल का प्रत्याशी जीतता है उसकी सरकार बनती है ऐसा अब तक देखने में आया है।
बात करें पुरोला विधायक राजकुमार की तो वह कांग्रेसी पृष्ठभूमि से हैं। उनके पिता पति दास ने 1985 उत्तरकाशी से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे मगर हार गए थे। राजकुमार छात्र राजनीति में भी ज्यादा सक्रिय नहीं रहे।
2000 में उत्तराखंड बनने के के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और 2007 में सहसपुर आरक्षित सीट से चुनाव लड़े और जीत गए।
2012 सहसपुर सीट के सामान्य होने के बाद उन्होंने 2012 में पुरोला सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2012 में भाजपा ने राजकुमार के बजाय मालचंद पर दांव खेला और वह जीत गए। राजकुमार ने 2017 में कांग्रेस में वापसी की और पुरोला से कांग्रेस टिकट पर जीत गए।