भुलाए गये राज्य आंदोलनकारी विशनपाल परमार उत्तराखंडी
 
						विक्रम बिष्ट
16 सितंबर 1976 को श्रीनगर गढ़वाल में उत्तराखंड युवा मोर्चा का गठन किया गया था। इसकी पहल मदन मोहन नौटियाल ने की थी। “दिवाकर भट्ट, मथुरा प्रसाद बमराड़ा, विशन पाल सिंह परमार, कृपाल सिंह रावत, विपिन ममगाई और स्वामी दर्शन भारती मोर्चा के संस्थापक सदस्य थे।
पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए संघर्ष के उद्देश्य से गठित मोर्चा के सदस्य उत्तराखंड क्रांति दल के भी संस्थापक सदस्य रहे हैं।
दिवाकर भट्ट उत्तराखंड आंदोलन के सबसे चर्चित नेताओं में शुमार हैं । लेकिन मदन मोहन नौटियाल और विशनपाल परमार का योगदान भी कम नहीं है, भले ही राज्य आंदोलन के इतिहास की जानकारी न रखने वाले वरिष्ठ (!) आंदोलनकारी इन नामों से परिचित न हों।
स्वामी दर्शन भारती ने पृथक राज्य के लिए देहरादून के घंटाघर चौक पर अनशन भी किया था। गठन के लगभग दो वर्ष बाद मोर्चा कार्यकर्ताओं ने बद्रीनाथ से दिल्ली पदयात्रा आयोजित की। इसके समापन पर विशनपाल परमार ने दिल्ली वोट क्लब पर 12 दिनों की भूख हड़ताल की। आठ अक्टूबर 1978 को दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंडियों ने संसद मार्च किया। मार्च में शामिल 19 महिलाओं सहित 71 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें पांच दिन तिहाड़ जेल में रखा गया।।
उत्तराखंड शासन का राज्य आंदोलन का अपना रचित इतिहास है इसलिए सरकारी नजरिये से इनका राज्य निर्माण संघर्ष में भला क्या योगदान हो सकता है? सरकारी करतूत पर फिर कभी।
विशनपाल परमार दो अगस्त 1994 में को पौड़ी में इन्द्रमणि बडोनी के साथ ऐतिहासिक भूख हड़ताल करने वाले आंदोलनकारियों में भी शामिल थे।
11 अक्टूबर 1995 को श्रीनगर स्थित श्रीयंत्र टापू पर राज्य निर्माण के लिए विशनपाल परमार एवं दौलत राम पोखरियाल ने आमरण अनशन प्रारंभ किया। आंदोलन के दमन के लिए
प्रशासन-पुलिस ने बर्बरता का सहारा लिया। दो युवाओं यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत को मारकर पुलिस ने अलकनंदा में फेंक दिया। दर्जनों आंदोलनकारियों को घायल किया गया। कईयों को गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया।
आज दो अक्टूबर को हम शांति अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी और भारत के लाल लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के साथ उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों को याद कर रहे हैं। बेशक सत्ता की लोभियों के साथ।
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