स्वामी रसिक महाराज के भजनों के साथ भागवत कथा का समापन
 
						कथाव्यास डाक्टर कैलाश घिल्डियाल ने सुनाई परीक्षित मोक्ष कथा
रायवाला,हरिद्वार। कोठारी परिवार द्वारा प्रतीतनगर डांडी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सत्संग के समापन पर रविवार को कथास्थल पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर भोजन प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया।
भागवत कथा में विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। संत रसिक महाराज के गढ़वाली भजन ‘ म्यरा सेम नागराजा नौछमी नारैण ‘ पर पूरा पंडाल भक्तिमय बन गया।
इस दौरान कोठारी परिवार ने महंत जी का शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया। अंत में मुख्य यजमान मोहनलाल कोठारी ने कथा समापन के पर समस्त श्रद्धालु व्यासपीठ एवं सभी योगियों के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने परमात्मा से समापन पर प्रार्थना करते हुए कहा कि हमारे नगर एवं क्षेत्र में वह सारे देश और दुनिया में लोग सुखी और खुशहाल रहे।
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