वन्य खाद्य उत्पादों में मूल्य वृद्धि की क्षमता और संभावनाओ विषयक वेबिनार
देहरादून “आजादी का अमृत महोत्सव” के अवसर पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के क्रम में “वन्य खाद्य पदार्थों में मूल्यवर्धन की क्षमता और संभावनाओं” विषयक एक वेबिनार दिनांक 26 नवंबर, 2021 को संयुक्त रूप से वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग एवं वन संरक्षण प्रभाग के वन रोग विज्ञान शाखा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
एफआरआई के वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों और अनुसंधान विद्वानों सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों जिनमे मशरूम उत्पादन एवं व्यापारिक गतिविधियों से सम्बंधित उपक्रमों जैसे कृषि दून (प्रा.) लिमिटेड, देहरादून; दून ईगल ऑर्गेनिक्स (पी), लिमिटेड, देहरादून; हान एग्रोकेयर, देहरादून; आर.के. उद्योग, देहरादून; जौनसार ऑर्गेनिक्स, सहिया; गोदावरी ग्रामोद्योग, बागेश्वर; बागवान ग्रामोद्योग समिति, श्यामपुर, देहरादून;; दाइमोंड शिक्षा प्रचार समिति, देहरादून के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठनो के प्रतिनिधि, एवं आकांक्षी उद्यमी शामिल हुए। महानिदेशक, आईसीएफआरई, श्री अरुण सिंह रावत ने वेबिनर का उद्घाटन किया एवं मशरूम की बड़े पैमाने पर खेती और वन्य फलों के उच्च पोषक तत्व, औषधीय क्षमता और सामाजिक-आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ के आलोक में मूल्यवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. राजदेव राय, पूर्व मुख्य संपादक, मशरूम रिसर्च सोलन (हि.प्र.) और उद्यमी जैसे दून ईगल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशेक श्री. गुरशरण बाजवा; श्री प्रमोद चौरसिया, निदेशक, कृषि वन दून प्रा. लिमिटेड, आदि ने विशेष आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रतिभागियों के साथ अपने उत्पादन एवं व्यापार से सम्बंधित अपने अनुभव साझा किए। खाद्य एवं औषधीय मशरूम और उनकी खेती की तकनीक; जंगली खाद्य फलों और मशरूम के मूल्य संवर्धन और खाद्य मशरूम के संरक्षण और भंडारण पर चर्चा की गई। प्रतिभागियों के साथ मशरूम उत्पादकों, उद्यमियों और गैर सरकारी संगठनों के अनुभव भी साझा किए गए।
इस वेबिनार का दौरान वन अनुसन्धान संस्थान की ओर से डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी और डॉ. वी.के. वार्ष्णेय, वैज्ञानिक, रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग तथा डॉ अमित पांडे, प्रमुख, वन संरक्षण प्रभाग एवं डॉ मनोज कुमार, वन रोग विज्ञान शाखा ने वन्य खाद्य फलों के मूल्यवर्धन एवं विभिन्न प्रकार के मशरूम के उत्पादन, सरक्षण एवं मूल्यवर्धन विषय पर व्याख्यान दिए। वेबिनार का समापन डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी, प्रमुख, रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग, एफआरआई, देहरादून द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।