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हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च 2021 को

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गढ़ निनाद 10 फरवरी 2020

हरिद्वार: 2021 में होने वाले हरिद्वार कुंभ का  पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर और अंतिम शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होगा। इस प्रकार श्री गंगा सभा की सहमति से अन्य  स्नानों की तिथियां भी घोषित कर दी गयी हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में रविवार शाम कुंभ को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी और अन्य संतों के साथ बैठक हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने अन्य अखाड़े के संतों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री ने शाही  शाही स्नान की घोषणा की। हालाँकि अखाड़ा परिषद ने कुछ ज्योतिषियों द्वारा अपने स्तर से वेवसाईटों पर तिथियां घोषित करने पर नाराजगी जताई।कहा कि यह कार्य अखाड़ों का है।

मुख्यमंत्री ने कहा संतों के आशीर्वाद से काम समय पर पूरा हो जाएगा, अधिकारी इस पर गंभीरता बरतें। अखाड़ों के संतों की सहमति से  मुख्यमंत्री ने चार शाही स्नानों की तारीख घोषित करते हुए 11 मार्च 2021 (महाशिवरात्रि), 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या, 14 अप्रैल बैसाखी कुम्भ स्नान एवं 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा स्नान आयोजित होने की घोषणा की। 

इसके अलावा 14 जनवरी मकर संक्रांति,11 फरवरी मौनी अमावस्या, 13 फरवरी वसंत पंचमी, 27 फरवरी माघ पूर्णिमा,13 अप्रैल नव संवत्सर पर पर्व स्नान होंगे ।

मुख्यमंत्री ने जल संस्थान के अधिकारियों को सीवर के कार्यों में तेजी लाते हुए निर्धारित समय पर कार्य पूर्ण करने, एनएचएआई को भी कुम्भ क्षेत्र में नेशनल हाइवे के कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्यों को दिन रात करते हुए युद्ध स्तर पर पूरा करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा संतों की सुरक्षा अखाड़ों से लगातार संपर्क कर कुंभ मेले का कार्य किया जाए। मेल क्षेत्र से  अतिक्रमण हटाने का भी निर्देश दिया।

इस अवसर पर मेलाधिकारी दीपक रावत ने कुम्भ कार्यों के प्रगति की जानकारी दी। संतों ने कहा जिस धीमी गति से स्थाई कार्य हो रहे हैं उससे तय समय पर काम पूरा होने में संकट खड़ा हो सकता है।

बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, विधायक सुरेश राठौर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि, रविन्द्र पुरी, श्री महंत प्रेम गिरी, श्री महंत धर्म दास,श्रीमहंत राजेन्द्र दास, मुखिया मंहत भगत राम, महन्त जसविंदर सिंह, श्रीमहंत साधना नन्द, मंहत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत राम दास सहित सभी 13 अखाड़ो के प्रतिनिधि उपस्थित थे।


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