विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भोजन स्वच्छ करना होगा– नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
चंडीगढ़। पार्क नंबर 16 सैक्टर 40 बी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि जो मनुष्य अपना अस्तित्व खो देता है वह भाई के साथ नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण ने अपना अस्तित्व बचाये रखा इसलिए राम के साथ रह सके। लोगों को सताकर और रुलाकर जो संपत्ति अर्जित की जाती है, उसका भोग नहीं कर सकते। वह संपत्ति बचता नहीं है, लेकिन जो भाग्य से अर्जित की जाती है, उसका भोग सुख-समृद्धि से कर सकते है।विवेक से अर्जित की गई संपत्ति उसकी आयु लंबी होती है। छल-कपट की संपत्ति विनाश का कारण बनती है।
उन्होंने कहा कि स्वभाव और आचरण मनुष्य को आकर्षित करता है। किसी भी जगह का तीर्थ भूमि होना महत्वपूर्ण नहीं होता है। उस भूमि पर बैठकर तप करना महत्वपूर्ण है। संस्कृति के उत्थान एवं पतन मनुष्य के भावों पर निर्भर करता है। कहा कि पुण्य करोगे, तो सुख समृद्धि होगी और पाप करोगे, तो दुखी रहोगे।
महाराज ने कहा कि वस्त्रों से किसी व्यक्ति के दीनहीन की पहचान नहीं होती है, बल्कि कर्म और स्वभाव से महानता की पहचान होती है। कहा कि ऋषि मुनियों के मुख से निकला वाणी गंगोत्री के तरह होता है। दयालु व्यक्ति ही धर्मात्मा होता है। विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भोजन स्वच्छ करना होगा।