सीमांत से राजी खुशी के साथ बुधू
नमस्कार ! बड़े दिनों बाद आपको राजी खुशी की चिट्टी भेज रहा हूँ, हिमालय की एक चोटी से। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब दो टूक कही कि न तो कोई हमारी सीमा में घुसा है, न किसी पोस्ट पर कब्जा किया है, हिमालय यात्रा की बरसों पुरानी इच्छा पूरी करने का मौका मिल गया। निशंक होकर अपने अदृश्य उड़न खटोले से हिमालय की इस चोटी पर पहुंच गया।
इस बीच देवभूमि उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता की सरकार ने चीन की कुनीयत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सीमांत क्षेत्र में वाइब्रेंट विलेज बसाने का ऐलान किया तो दिल बाग-बाग हो गया है। स्वाभाविक है कि देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए भगवाधारी युवाओं से बड़े भक्त कोई और नहीं हो सकते हैं।इसलिए ऐसे में अपना कोई चांस नहीं था।
मैं भी सख्त भक्त हूँ यह साबित करने के लिए यहीं एक कन्दरा में डट कर बैठा हूँ। सर्दी से बचने के लिए रामदेव बाज घुट्टी है ही। खास किस्म का चश्मा भी है देख सकता हूँ कि हमारी सीमा में कोई नहीं घुसा है। हाँ, दीमकों ने कुछ बाँबियां बनाई हैं। सीमा के उस पार चार- साढ़े चार फुटे चिनपिंगों गिनपिंगों की कतारें लंगोट पहने सिर के बल योग कर रही हैं। ऊपर बाज मण्डरा रहे हैं, इसलिए वे सीधे खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
आप लोग भी वाइब्रेंट विलेजवासी होना चाहते हैं तो देशभक्ति के रंग के कपड़े धारण का प्रैक्टिस शुरू कर दीजिए। असली तो यहाँ आने से रहे। खांटी देशभक्त जो हो । मेरी बात का बुरा मत मानिए, खरी खरी कहने की आदत जो है। अच्छा फिर मिलेंगे। नमस्कार। हिमालय की कन्दरा से आपका अपना बुधू ।