क्या फिर से शुरू होगी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की परम्परा
सरकार ने एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी की गठित
1952 से 1967 तक साथ होते थे लोकसभा और विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली 1 सितंबर। क्या फिर से शुरू होगी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की परम्परा। सरकार ने एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है। दरअसल आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई । 1970 में लोकसभा को भंग कर दिया गया। तभी से एक देश-एक चुनाव की जो परंपरा टूट गई थी।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी कई बार वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। संविधान दिवस के मौके पर एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा। ये भारत की जरूरत है। इसलिए इस मसले पर गहन विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए।”
इधर केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी घोषणा की है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि " 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261 वां सत्र होगा। इसमें 5 बैठकें होंगी।" जोशी ने यह भी कहा कि सत्र बुलाने के पीछे कोई एजेंडा नहीं है। उन्होंने जानकारी के साथ पुराने संसद भवन की फोटो शेयर की है। माना जा रहा है कि सत्र पुराने संसद भवन से शुरू और नए में खत्म होगा।
पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली यह समिति एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं। एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ ही करा लिए जाएं।
बता दें कि आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई । 1970 में लोकसभा को भंग कर दिया गया। तभी से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई थी।