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कुलपति डॉक्टर ध्यानी ने लगाया पारिजात का पौधा, जानिए कारण और महत्व

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नई टिहरी।  आज उत्तराखंड के लोक पर्व हरेला  के शुभ अवसर पर डॉ पीतांबर प्रसाद ध्यानी कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अपने बादशाहीथौल (टिहरी) में स्थित कुलपति आवास कम शिविर कार्यालय के समीप अपने परिवार के साथ पारिजात के पौधों को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ लगाया।

उन्होंने पारिजात के पौधों को लगाने के कारण के बारे में अवगत कराया कि पिछले वर्ष माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राम मंदिर प्रांगण, अयोध्या में पारिजात का पौधा लगाया था। तब से उनके मन में पारिजात के पौधों को लगाने की प्रबल इच्छा हुई थी। इसलिए उन्होंने देहरादून में स्थित एक नर्सरी से पारिजात के कुछ पौधे क्रय किए और आज हरेला पर्व के शुभ अवसर पर उन्होंने और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेणु ध्यानी ने पारिजात के पौधों का प्रसन्नतापूर्वक रोपण किया। 

पारिजात (निक्टेनथेस अरवोरट्रीटीस, हरसिंगार) पौधे के बारे में डॉक्टर ध्यानी ने अवगत कराया कि यह एक बहुत ही पवित्र पौधा है। जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं । इस पौधे के मनमोहक और सुगंधित पुष्पों से श्री हरि का श्रृंगार कर मन प्रफुल्लित होता है और देवी लक्ष्मी को इसके पुष्प अर्पित कर आध्यात्मिक शांति मिलती है। इस पवित्र पौधे में विद्यमान औषधीय तत्वों से कई बीमारियों का निराकरण किया जाता है।

उत्तराखंड के लोक पर्व हरेला के बारे में डॉक्टर ध्यानी ने बताया कि हमारे पूर्वजों के महान चिंतन और उनके पर्यावरण के प्रति देखने के महान दृष्टिकोण ने हमें ‘हरेला पर्व’ विरासत के रूप में दिया। अब, हमारा लक्ष्य उत्तराखंड के इस लोक पर्व हरेला को पूरे विश्व में स्थापित करना है ताकि विश्व के पूरे देश एक दिन “विश्व हरेला दिवस”  मनाकर प्रकृति (जिसके बिना मानव जीवन संभव नहीं) का संरक्षण और संवर्धन कर सके । डॉ ध्यानी ने यह भी बताया कि यदि ऐसा हुआ, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया इन्हें ‘ विश्व पर्यावरण गुरु ‘ के नाम से भी संबोधित करेंगी। 

आज हरेला पर्व के शुभ अवसर पर डॉ ध्यानी ने सभी प्रदेश और देशवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दी।


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Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

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