इंशानियत की शुरुआत ही रूहानियत से इस निरंकार को पाकर होती है – सद्गुरु माता सुदिक्षा जी महाराज
देहरादून 19 मई 2024 । इस चराचर जगत में भक्ति का महत्व अत्यधिक है जो भक्ति परमात्मा को जानकर की जाती है वही सार्थक होती है। उक्त आशय के उदगार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने निरंकारी सत्संग में अपने भक्तों को अपने पावन दर्शन देते हुए कहे।
उन्होंने भक्ति, सुकून, समर्पण, दया, करुणा के भाव को व्यक्त करते हुए अपने विचारों में फरमाया कि ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करके ही इंसानियत और रूहानियत जैसे गुण इंसान के जीवन में उजागर होते हैं इंसानी जन्म अगर प्राप्त हुआ है तो जीवन में ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही यह मानवीय गुण आते हैं जब यह अध्यात्मिकता जीवन में उतर जाती है कि संसार में कुछ भी सदा रहने वाला नहीं है अगर कुछ रहेगा तो केवल यह परमात्मा, यही शास्वत सत्य है। जिस प्रकार सूरज की रोशनी हर समय भरपूर होती है लेकिन धुंध होने के कारण फिर भी अगर आगे रास्ता नजर नहीं आता इसी प्रकार जीवन में अज्ञानता और अंधविश्वास आने पर भी कि परमात्मा पर विश्वास नहीं टिकता और मनों में नफरतें उत्पन्न हो जाती है ।
निरंकारी भक्तो को कड़क गर्मी में हुआ ठंडक का एहसास अपने सतगुरु के दर्शन पाकर
अपने सद्गुरु के आगमन पर निरंकारी भक्तो ने बैंड बजे ढोल बजा कर हर्षो उल्लास से किया स्वागत
विशेष ब्रह्मज्ञान कक्ष
इस निरंकारी संत समागम में आए प्रभु प्रेमियों, जिज्ञासुओं ने ब्रह्म ज्ञान कक्ष में जाकर सतगुरु के द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान की अलखता कर अपने जीवन को भी सफल बनाया ।
इस समागम के मुख्य आकर्षण रहे गढ़वाली, पंजाबी, कुमाऊनी, अंग्रेजी और हिंदी भाषिये एवम अपनी अपनी भेष भूषा मे गीतों व आध्यात्मिक प्रवचनों के मध्यम से अपने सद्गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करके साध संगत को निहाल किया ।
सेवा दल के भाई बहनों ने समस्त सेवाएं पंडाल, ट्रैफिक, प्याऊ, लंगर को सुंदर रूप दिया ।
स्थानीय संयोजक ने इस निरंकारी संत समागम मे पधारे सद्गुरु माता सुदिक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता जी का विशेष रूप से अभिवादन करते हुए समस्त मानव परिवार का धन्यवाद किया ।