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गुलदार के आतंक से त्रस्त महिलाओं ने वन विभाग के अधिकारियों को पंचायत भवन में किया बंद, जताया गहरा आक्रोश

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रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग की ग्राम पंचायत बरसीर के डांडा चमसारी तोक में 30 मई को 52 वर्षीय रूपा देवी की गुलदार के हमले में दर्दनाक मौत ने ग्रामीणों के सब्र का बांध तोड़ दिया। गुलदार के लगातार हमलों से त्रस्त ग्रामीणों का गुस्सा रविवार को उस समय फूट पड़ा, जब वन विभाग के डीएफओ दिवाकर पंत, वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल और रेंजर टीम गांव पहुंची।

आक्रोशित ग्रामीणों, खासकर महिलाओं ने वन विभाग के कथित उदासीन रवैये के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए अधिकारियों को पंचायत भवन में बंद कर दिया और बाहर निकलने से रोक दिया। बाद में काफी समझाने बुझाने पर मामला शांत हुआ।

महिलाओं ने गुस्से में कहा कि गुलदार का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि खेतों में काम करना और पालतू मवेशियों के लिए चारा-पत्ती जुटाना अब जानलेवा हो गया है। पिछले छह महीनों में एक दर्जन से अधिक बच्चे और महिलाएं गुलदार के हमलों का शिकार हो चुके हैं। कुछ महीने पहले ग्राम पंचायत देवल में भी एक महिला की जान जा चुकी है। इसके बावजूद, वन विभाग ने गुलदार को आदमखोर घोषित करने या उसे नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश और भय दोनों व्याप्त है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि वन विभाग तत्काल गुलदार को आदमखोर घोषित कर उसे पकड़ने या मारने की कार्रवाई करे, ताकि उनकी जान-माल की रक्षा हो सके। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी आजीविका और सुरक्षा दांव पर है, लेकिन वन विभाग की सुस्ती उनकी मुश्किलें बढ़ा रही है। वन विभाग ने मृतका के परिजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की है और गांव में सुरक्षा के लिए 20 वनकर्मियों की तैनाती की बात कही है। हालांकि, ग्रामीण इसे नाकाफी मानते हैं और त्वरित, प्रभावी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

यह घटना रुद्रप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। वन विभाग और स्थानीय समुदाय के बीच बेहतर संवाद, त्वरित कार्रवाई और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत अब और भी स्पष्ट हो गई है। ग्रामीणों की यह मांग केवल उनकी सुरक्षा की नहीं, बल्कि उनके जीवित रहने के अधिकार की पुकार है।


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