सरकारी विभागों के ठेकेदारों ने सीएम धामी को सौंपा ज्ञापन, 13 बिंदुओं पर मांगा त्वरित समाधान
टिहरी गढ़वाल 23 सितंबर 2024। विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत पंजीकृत ठेकेदारों ने अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर जिलाधिकारी के माध्य्म से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपा। ठेकेदारों ने 13 प्रमुख बिंदुओं पर त्वरित कार्रवाई की मांग की, ताकि विकास कार्यों में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सके। ठेकेदारों ने समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध किया है ।
ज्ञापन में सबसे महत्वपूर्ण मांग यह थी कि निविदाओं का आकार छोटा किया जाए, ताकि डी और सी श्रेणी के अधिक से अधिक ठेकेदार काम कर सकें। उन्होंने कहा कि 5 करोड़ रुपये तक के काम सिंगल बिड के तहत दिए जाने चाहिए और 10 करोड़ रुपये तक के कार्यों में केवल उत्तराखंड के मूल निवासियों को ही भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। साथ ही, ठेकेदारों ने निविदाओं में अतिरिक्त शर्तें जोड़कर किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने का विरोध किया और पीसी (पीच कंक्रीट) कार्यों में हॉट मिक्स प्लांट और पेवर मशीन की अनिवार्यता हटाने की मांग की।
ठेकेदारों ने बताया कि कई वर्षों से आपदा कार्यों और वार्षिक अनुरक्षण का भुगतान लंबित है। 2021-22 से लेकर अब तक का भुगतान नहीं हो पाया है, जिससे ठेकेदारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से तत्काल भुगतान की मांग की, ताकि ठेकेदार अपने काम को बिना किसी वित्तीय बाधा के पूरा कर सकें। साथ ही, ऑफलाइन जमा की गई सिक्योरिटी डिपॉजिट को भी तुरंत लौटाने का आग्रह किया गया।
ठेकेदारों ने पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि टेक्निकल स्टाफ और सॉल्वेंसी की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए, क्योंकि स्थायी रूप से टेक्निकल स्टाफ नियुक्त करना व्यावहारिक नहीं है। पंजीकरण की वैधता अवधि कम से कम 5 वर्ष होनी चाहिए और पूरे प्रदेश में समान नियम लागू होने चाहिए। समयावृद्धि, वेरिएशन और अतिरिक्त कार्यों की प्रक्रिया पूर्व की भांति सरल होनी चाहिए।
ज्ञापन में खनन सामग्री पर दोहरी रॉयल्टी का विरोध किया गया। ठेकेदारों का कहना है कि वे सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त नदी रेटॉक और क्रेशर से सामग्री खरीदते हैं, जो पूरी तरह कानूनी है। ऐसे में, उनसे रॉयल्टी वसूलना उचित नहीं है। यदि अवैध खनन हो रहा है, तो इसे रोकने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की है।
ठेकेदारों ने जीपीडब्ल्यू-9 और एसबीडी (स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट) में सुधार की भी मांग की। इसके तहत निर्णय का अधिकार अधीक्षण अभियंता को दिए जाने और ठेकेदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रावधान जोड़ने की आवश्यकता जताई गई। इसके अलावा, आपदा कार्यों में लगे ठेकेदारों की मशीनों और मजदूरों को बीमा कवरेज देने की मांग की गई, ताकि आकस्मिक घटनाओं में उचित सुरक्षा मिल सके। ठेकेदारों की आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में बिना अर्थदंड के उनके देयक का भुगतान करने का भी प्रावधान करने की बात कही गई।
स्थानीय ठेकेदारों को मिले प्राथमिकता
ठेकेदारों ने केंद्र पोषित योजनाओं में स्थानीय ठेकेदारों को अधिक से अधिक कार्य देने की मांग की, जिससे प्रदेश के ठेकेदारों को लाभ हो और राज्य का विकास भी तेजी से हो सके। इसके साथ ही, ठेकेदारों के बैठने के लिए प्रत्येक कार्यदायी खंड में एक कक्ष की व्यवस्था करने की भी अपील की गई।
ज्ञापन सौंपने वालों में गोविंद सिंह, राजेंद्र कुंवर, रोशन सिंह चौहान, अनिल राणा, दिनेश कृषाली, रतनमणी भट्ट, सोबत सिंह रावत, गंभीर सिंह, सुमेर भंडारी, भगवती प्रसाद, और देवेंद्र सहित अन्य ठेकेदार शामिल थे। सभी ने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री धामी उनकी मांगों पर त्वरित कार्रवाई करेंगे, ताकि ठेकेदारों की समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके और प्रदेश का विकास कार्य निर्बाध रूप से आगे बढ़ सके।