झंडी धार पेयजल योजना पर करोड़ों खर्च, फिर भी प्यासे रह गए हलक
जनप्रतिनिधियों की क्यारसौड़ से नई योजना बनाने की मांग
टिहरी गढ़वाल, 26 सितंबर 2024। विकास खंड देवप्रयाग के अंतर्गत करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद कोटेश्वर-झंडी धार पेयजल योजना से क्षेत्रीय जनता को राहत नहीं मिल पा रही है, बड़ी आबादी के हलक अभी प्यासे हैं । यह योजना, जो 24 ग्राम पंचायतों की 103 बस्तियों के 30,000 से 35,000 लोगों को पीने के साफ पानी की आपूर्ति का वादा करती थी, आज एक सफेद हाथी बनकर रह गई है। पेयजल संकट इतना गहरा हो गया है कि अब जनता अपने स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
2014-15 में शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना का संचालन इतनी खराब स्थिति में है कि ग्रामीणों को महीने में मुश्किल से 15 से 20 दिन बिना फिल्टर वाला, दूषित पानी मिलता है। पंप और मोटरों के बार-बार खराब होने से गांवों में जलापूर्ति ठप हो जाती है, जिससे न केवल लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है। संबंधित उच्चाधिकारी कभी योजना का निरीक्षण तक करने की जहमत नहीं उठाते।
पंप ऑपरेटरों की कठिनाइयां: काम प्रभावित
स्थानीय जनप्रतिनिधि कहते हैं कि इस योजना पर कार्यरत पंप ऑपरेटरों को न तो समय पर पर्याप्त वेतन मिल रहा है और न ही कोई अतिरिक्त सुविधाएं। इससे योजना का संचालन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यह समस्या योजना की विफलता का एक प्रमुख कारण बन रही है, जिसके चलते जल आपूर्ति प्रणाली ठप हो रही है।
सड़क के अभाव में ऑपरेटर की हुई थी मौत
आठ महीने पहले आईपीएस प्रथम पर तैनात पम्प ऑपरेटर महावीर सिंह पुत्र स्व रूपचंद सिंह की सड़क के अभाव में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उनके परिवार ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन जंगली रास्ता होने के कारण वह अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ गया । इसके लिए विभाग द्वारा कोई आर्थिक सहायता तक नहीं दी गयी। यह घटना सरकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचे की खामियों की ओर इशारा करती है।
नई योजना और सड़क निर्माण की मांग
ग्राम पंचायत चपोली के पूर्व सैनिक विक्रम सिंह पंवार और पंचूर के पूर्व प्रधान रजनीश कांत तिवारी ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए, भागीरथी नदी से क्यारसौड़ से एक नई पेयजल योजना बनाने की मांग की है। उनके अनुसार, इस योजना से सभी गांव सड़क मार्ग से जुड़े हैं ऐसे में पंपिंग लाइनों की मरम्मत में भी सहूलियत मिलेगी।
जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस पेयजल संकट का समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने जल संस्थान की लापरवाही की कड़ी निंदा की है, जो बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
जंगली क्षेत्र होने के कारण पंपिंग में आ रही दिक्कतें
भागीरथी नदी से झंडी धार तक पंपिंग के लिए पूरा मार्ग जंगली है, जिससे खराब पंपों की मरम्मत में भारी दिक्कतें आ रही हैं। एक बार अगर कोई मैकेनिक आ भी गया तो वह दोबारा तौबा कर लेता है। जनप्रतिनिधियों ने सुझाव दिया है कि इस इलाके में सड़क का निर्माण किया जाए, ताकि उपकरणों और अन्य आवश्यक सामग्री को मरम्मत के समय आसानी से पहुंचाया जा सके।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पेयजल संकट का तुरंत समाधान किया जाए। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह योजना केवल कागजों में सफल है, जबकि जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। ग्रामीणों का स्वास्थ्य और जीवन इस योजना की विफलता से प्रभावित हो रहा है, और यदि जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह बड़ा जन आंदोलन बन सकता है।
संक्षेप में कहें तो कोटेश्वर-झंडी धार पेयजल योजना, जो हजारों लोगों की प्यास बुझाने का वादा करती थी, आज अपनी अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के कारण विफल साबित हो रही है। अब ग्रामीणों को किसी ठोस समाधान का इंतजार है, लेकिन समय रहते यदि प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में यह संकट एक बड़े आंदोलन का कारण बन सकता है।