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उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष ने जल्द सशक्त भू कानून और मूल निवास लागू न करने पर दी भूख हड़ताल की चेतावनी

उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष ने जल्द सशक्त भू कानून और मूल निवास लागू न करने पर दी भूख हड़ताल की चेतावनी
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टिहरी गढ़वाल 11 नवम्बर 2024 । उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष डॉ. राकेश भूषण गोदियाल ने उत्तराखण्ड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने की मांग को लेकर सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। इस मांग को लेकर समिति ने एक व्यापक जनजागरण अभियान शुरू करने का भी ऐलान किया है।

डॉ. गोदियाल ने यहां नई टिहरी में एक स्थानीय होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना के 24 वर्ष बाद भी राज्य की जनता की मूल भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप विकास नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में मजबूत भू-कानून लागू करने और स्थायी निवास का प्रावधान लाने से राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे और पहाड़ों से पलायन की समस्या में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि जनता को उम्मीद थी कि इस राज्य स्थापना दिवस पर सरकार घोषणा करेगी मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर जल्द भू कानून और मूल निवास लागू नहीं होता तो वह भूख हड़ताल पर चले जाएंगे।

गोदियाल ने कहा कि समिति ने सरकार के सामने कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. सशक्त भू-कानून और मूल निवास का प्रावधान: राज्य में सशक्त भू-कानून लागू किया जाए, ताकि बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद को नियंत्रित किया जा सके और मूल निवास प्रमाणपत्र के आधार पर स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों और अन्य अवसरों में प्राथमिकता दी जा सके।
  2. स्थायी राजधानी गैरसैण में हो: समिति ने मांग की है कि उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी गैरसैण में होनी चाहिए, जो पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और राज्य की जनभावनाओं का सम्मान करती है।
  3. आन्दोलनकारी कर्मचारियों को विशेष लाभ: वर्ष 1994 के पृथक उत्तराखण्ड आन्दोलन में योगदान देने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को एक वर्ष की अतिरिक्त सेवा या दो वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए, साथ ही उन्हें “उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी सम्मान प्रमाण-पत्र” प्रदान किया जाए।
  4. स्थानीय भाषा का अनिवार्य प्रावधान: पर्वतीय क्षेत्रों की सरकारी नौकरियों के लिए स्थानीय भाषा (कुमाउनी या गढ़वाली) को अनिवार्य किया जाए, ताकि इन क्षेत्रों के लोग नौकरियों में प्रतिनिधित्व पा सकें।
  5. लोक संगीत वादकों का सम्मान: उत्तराखण्ड आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले ढोल-दमाऊ और मशकबीन जैसे लोक संगीत वादकों को सम्मानित किया जाए और उन्हें भी आन्दोलनकारी का दर्जा दिया जाए।
  6. पत्रकारों और अधिवक्ताओं का सम्मान: पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में सहयोग करने वाले पत्रकारों और अधिवक्ताओं को आन्दोलनकारी सम्मान प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाए।
  7. परिवहन व्यवसायियों और व्यापारियों का समर्थन: आन्दोलन में योगदान देने वाले परिवहन व्यवसायियों का एक वर्ष का टैक्स माफ किया जाए और उन्हें सम्मान प्रमाण-पत्र दिया जाए। इसी प्रकार व्यापारियों का भी एक वर्ष का जीएसटी या वैट माफ करने की मांग की गई है।
  8. आन्दोलनकारियों की पुनः पहचान प्रक्रिया: उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति ने विभिन्न जिलों के पदाधिकारियों और आन्दोलनकारियों की पहचान प्रक्रिया पुनः शुरू करने की मांग की है, ताकि सभी आन्दोलनकारियों को उनका सम्मान मिल सके।
  9. स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता: सरकारी निर्माण कार्यों में स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता देकर उन्हें रोजगार के अवसर दिए जाएं, ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा सके।

जनजागरण अभियान का ऐलान

डॉ. गोदियाल ने बताया कि समिति आने वाले समय में जनता के बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाएगी, जिसमें भू-कानून और मूल निवास के महत्व को समझाया जाएगा। समिति का मानना है कि यह कानून राज्य के विकास और यहां के लोगों के लिए स्थायित्व और सुरक्षा लाने में सहायक होंगे।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर जल्द सरकार इन मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

प्रेसवार्ता में श्री गोदियाल के अलावा राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र नौडियाल, राजेंद्र असवाल, योगेन्द्र सिंह नेगी, डॉ यू एस नेगी, टीकम चौहान, नरोत्तम जखमोला, उत्तम तोमर, शक्ति जोशी, कुलदीप पवार, मुशर्रफ अली, गंगा भगत नेगी समेत कई लोग मौजूद रहे।


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Govind Pundir

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