गंगा-जमुना की पवित्र धरा टिहरी के लोगों को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना होगा: किशोर उपाध्याय
1949 के वादे अधूरे, टिहरी को चाहिए विशेष प्रतिनिधित्व
“टिहरी स्थापना दिवस पर विधायक ने क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना की”
राज्यसभा के हर चुनाव में टिहरी के लोगों को मिले प्रतिनिधित्व
टिहरी गढ़वाल। 28 दिसम्बर 2024 । टिहरी प्रिंसली स्टेट की स्थापना के इस ऐतिहासिक और पवित्र दिन पर विधायक किशोर उपाध्याय ने क्षेत्र के गौरवशाली अतीत, वर्तमान चुनौतियों और समाधान के लिए अपने विचार साझा किए।
उन्होंने गढ़ निनाद न्यूज को बताया कि टिहरी, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के एक हिस्से तक फैला यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी विश्व में विशिष्ट स्थान रखता है। यहां टिहरी की पवित्र भूमि ने मां गंगा और यमुना जैसी जीवनदायिनी नदियों को जन्म दिया है, जो भारत की पहचान हैं। इसके बावजूद यह क्षेत्र हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा है।
आर्थिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं में टिहरी लंबे समय से पिछड़ा हुआ है। 1949 में भारत में टिहरी स्टेट के विलय के समय किए गए वादों पर आज तक कोई अमल नहीं हुआ। सरकारी नौकरियों, सेना और प्रशासन में टिहरी के (टिरियालों) लोगों की भागीदारी बेहद सीमित है, जो गहरी चिंता का विषय है।
: किशोर उपाध्याय विधायक टिहरी
विधायक ने कहा कि 2002 के बाद, जब उन्होंने विभिन्न मंचों पर टिहरी के इन मुद्दों को उठाना शुरू किया, तो उनके काफी मित्र उनसे नाराज भी हुए। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में प्रयास किए गए, लेकिन कोई गुणात्मक सुधार नहीं हुआ। पिछली बार सभी लोगों को एकजुट करने की कोशिश की गई थी, लेकिन इस बार निकाय चुनावों के कारण यह संभव नहीं हो सका।
विधायक उपाध्याय ने कहा कि टिहरी क्षेत्र के निवासियों (टिरियालों) को केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं में आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि पूर्ववर्ती टिहरी स्टेट के लिए अलग से लोकसभा सीट होनी चाहिए और राज्यसभा में भी टिहरी के लोगों को हर चुनाव में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न मंचों और सरकारी सेवाओं में टिहरी क्षेत्र के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
उन्होंने टिहरी के निवासियों से अपील की कि वे संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि टिहरी के लोगों को अपने लिए आरक्षण प्राप्त करने और अपनी उपेक्षा समाप्त करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए।
उन्होंने इस पावन अवसर पर टिहरी वासियों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि टिहरी की पहचान और उसके गौरव को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है, और इसके लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।