फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का पाँचवाँ दिन – IPR जागरूकता पर केंद्रित

ऋषिकेश 15 सितम्बर 2025। “Empowering Educators through IPR Literacy and Innovation” शीर्षक से चल रहे FDP के पाँचवें दिन बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) पर विशेषज्ञों ने विधिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय पहलुओं पर विचार रखे।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. सुधीर सिंह (दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) के व्याख्यान से हुआ। उन्होंने भारत में IPR कानूनों की चुनौतियाँ बताते हुए कहा कि जन-जागरूकता और क्रियान्वयन की कमी सबसे बड़ी बाधा है। शोध एवं नवाचार की सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए IPR को मजबूत करने पर बल दिया।
इसके बाद डॉ. चन्द्र मोहन नेगी (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने IPR और आर्थिक विकास पर बोलते हुए बताया कि पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देते हैं। भारत यदि नवाचारों को उचित संरक्षण दे तो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी हो सकता है।
भोजनावकाश उपरांत सुश्री मुस्कान रस्तोगी ने दो सत्र लिए। पहले सत्र में उन्होंने डिज़ाइन, SICLDR और पादप प्रजाति अधिनियम पर चर्चा करते हुए औद्योगिक डिज़ाइन व नई पौध किस्मों की सुरक्षा की आवश्यकता बताई। दूसरे सत्र में अंतरराष्ट्रीय पेटेंट संधियाँ व WIPO की भूमिका पर प्रकाश डाला।
प्रो. अनीता तोमर (निदेशक, FDC) ने कहा कि ऐसे आयोजन शिक्षकों को नई ऊर्जा देते हैं और शोध व नवाचार की राह प्रशस्त करते हैं। उन्होंने IPR को केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का साधन बताया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सीमा बेनीवाल ने किया।