टिहरी की ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव में टिहरी के कलाकारों ने बांधा समा

देहरादून। रेसकोर्स स्थित श्री गुरुनानक मैदान में 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक भव्य रूप से आयोजित “टिहरी की ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव देहरादून – 2025” में टिहरी के कलाकारों ने अपने अद्भुत अभिनय, संवाद कला और मंचीय समर्पण से ऐसा जादू बिखेरा कि दर्शक भावविभोर हो उठे। हर पात्र के माध्यम से उन्होंने न केवल मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा को जीवंत किया, बल्कि टिहरी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
रामलीला के दौरान जयेंद्र मोहन पाण्डेय (मोंटी) ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से सभी को चकित कर दिया। उन्होंने रावण के दूत, दशरथ मंत्री, जनक मंत्री, ताड़का मंत्री, सुबाहु, बाणासुर, परशुराम, खर, निषादराज केवट, रावण मुनि, मारीच, सुग्रीव, सुषेण वैद्य और वशिष्ठ जैसे अनेक पात्रों को सजीव कर दिया। प्रत्येक किरदार में उनकी आवाज़, हावभाव और संवाद की गहराई ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी।
लक्ष्मण की भूमिका में शिवम गिरी का अभिनय इस वर्ष की रामलीला का मुख्य आकर्षण रहा। उनकी ऊर्जावान अभिव्यक्ति, भावनात्मक संवाद और भाईचारे की भावना ने दर्शकों को “जय लक्ष्मण जी” के जयकारों से गूंजा दिया। नारद और ब्रह्मा के रूप में भी उनके सहज अभिनय ने मंच को भक्तिभाव और हास्य के रंगों से भर दिया।
भरत के किरदार में गबर राम ने गहरी संवेदना और समर्पण से भूमिका को जीवंत किया। वहीं, जितेंद्र कुमार घई ने ताड़का और मेघनाद के रूप में अपने जोशीले अभिनय से खूब प्रशंसा अर्जित की। महंत गोपाल गिरी और चरण सिंह नेगी ने भाट के रूप में अपने व्यंग्य और हास्य से दर्शकों को लगातार हंसाया और सोचने पर भी विवश किया।
अमित बहुगुणा ने अंगद के किरदार में अपने सशक्त संवादों और प्रभावशाली मंच उपस्थिति से दर्शकों की वाहवाही लूटी। तपेन्द्र चौहान का हनुमान रूप तो मानो जीवंत प्रतीक बन गया — जब वे मंच पर प्रकट हुए तो पूरा मैदान “जय बजरंगबली” के नारों से गूंज उठा।