देवी भागवत दर्शन से मिटती है बुद्धि की जड़ता, ‘एं’ मंत्र जागृत करता है ज्ञान-शक्ति: डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज

टिहरी गढ़वाल। डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज ने कहा कि देवी भागवत पुराण मानव जीवन के अंधकार को दूर कर ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित करने वाला पवित्र ग्रंथ है। मां पराम्बा (देवी सरस्वती) की भक्ति से व्यक्ति की बुद्धि की जड़ता समाप्त होती है, और वह सत्य, करुणा व विवेक के पथ पर अग्रसर होता है।

प्रेरक कथा: मूर्ख बालक से ज्ञानी सत्यव्रत तक का सफर
उन्होंने एक प्रेरणादायी कथा साझा की। एक मूर्ख बालक उतथ्य ने मां सरस्वती की शरण ली और सत्य बोलने का संकल्प लिया। एक दिन जंगल में उसने एक निर्दोष पशु को मरणासन्न देखा। उसके हृदय में करुणा जागी और उसने व्यथित होकर पूछा, “ एं किसने मारा इस निर्दोष प्राणी को?” यह पुकार सारस्वत मंत्र बन गई। मां पराम्बा प्रसन्न हुईं, बालक को दर्शन दिए और पशु को पुनर्जनन का वरदान दिया। उसी क्षण उतथ्य की बुद्धि की जड़ता मिट गई, और वह सत्यव्रत के नाम से विख्यात ज्ञानी पुरुष बन गया। यह कथा सत्य, करुणा और ज्ञान की महत्ता को दर्शाती है।
‘एं’ मंत्र: ज्ञान और विवेक की कुंजी:
डॉ. आचार्य ने बताया कि मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए प्रतिदिन “एं” बीज मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करना चाहिए। यह मंत्र बुद्धि, वाणी और विवेक को प्रखर करता है, चित्त में स्थिरता लाता है और साधक में प्रेरणा का संचार करता है।
बच्चों को संस्कार और भक्ति से जोड़ें:
अंत में, उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि बच्चों को भक्ति, सत्यनिष्ठा और संस्कृति से जोड़ा जाए। दिव्य ज्ञान और उत्तम संस्कार ही जीवन को सार्थक और पूर्ण बनाते हैं।


