उत्तराखंडराजनीति

अजब गजब रहा टिहरी विधानसभा 2022 का चुनाव !!

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आम जनता से लेकर प्रतिद्वंद्वियों के हितैषी/कार्यकर्ता भी फोन कर रहे कि कौन जीत रहा है।

पूरे चुनाव में गाँव गाँव गली गली गई। कोशिश पूरी की अपनी बात जनता तक पहुँचाने की। जनता कितना समझी यह तो समय आने पर पता लगेगा। कई समस्याओं को देखा और जाना। वास्तव में जिन लोगों ने विकास के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रखा था वैसा कुछ भी नहीं! कठिन घडी से गुजरी, कईयों ने मदद देने का वादा किया था संसाधनों से लेकिन मदद की नहीं,
कई झूठे रिश्ते जो मुझसे जुड़े थे आज ऐन वक्त पर धराशायी हो गये। समझ नही आया ऊपर वाले ने मेरी परीक्षा ली या मुझे हकीकत से मिलाया।

कईयों की ऋणी हो गयी, जिनके घरों का अन्न जल ग्रहण किया, कई ऐसे भी दिखे जो न कभी मुझे मिले न मेरा उनसे कोई रिश्ता था वे लोग मेरा प्रचार कर रहे थे। नेताओं को देखकर जनता का भी मनोरंजन पूरा रहा। कुछ के टिकट कट गये, कुछ के बदल गये, कुछ एक दूसरे पर छींटाकशी करते रहे कुछ रोते हुए और रूलाते हुए दिखे, और हम चलते रहे नाचते गाते अनवरत।

वैसे यदि महिलाओं/युवाओं ने एकजुटता दिखाई होगी तो निसंदेह 22 हजार से आगे यूकेडी जीत का परचम लहरायेगी, परंतु सवाल यह कि युवाओं ने खुलकर साथ क्यों नहीं दिया ? क्या किसी का डर था? या भ्रम। ‘महिलाओं ने वोट देने को हामी तो भरी लेकिन साथ चलने को मना क्यों किया?? वैसे जो शोशल मीडिया मे देखा यकीन नही हुआ। क्या वास्तव में दारू चली, परंतु यकीन भी करना पडा। शाम 5 बजे के बाद अमूमन दारू की बास (गंध) वाले सैकड़ों से मिली और सोचा ये दारू की इतनी गंदबास कभी आम समय मे दिखी नहीं, परंतु एक और विशेष बात रही कार्यकर्ता जिसके भी रहे हों मेरे प्रति उनका आदर सम्मान रहा। हाँ कुछ ढोंगी भी देखे जो मुझे देखकर मुँह छुपाकर ही माने।
सुनने मे आया रूपये बंटे खैर मैने देखा तो नही,
लेकिन हाँ कुछ जानने वालों ने बताया कि ध्याडी मे प्रचार पर जा रहे हैं।
अब सोचो यदि नेताओं ने कुछ काम किया होता तो ध्याडी मे प्रचार वाले क्यों जाते ? सुनने मे तो यह भी आया कि साडी सूट और हजार रूपये दिए गये, लेकिन यह सुनी सुनाई बात है। अफसोस जनता कब समझेगी। यदि दारू सूट साडी और रूपये लेकर ही मतदान किया तो कैसा दान और फिर जो धनबल से जीतेगा क्या फिर उससे जनता को काम करवाने का अधिकार मिलेगा ?? फिर क्यों विलाप करती है जनता!!

यदि जनता ने उत्तराखण्ड के मूल मुद्दे और पहाड़ को बचाने के लिए वोट दिया होगा तब तो यूकेडी, और यदि नही तब धनै या किशोर जी।

बस मैं संतुष्ट हूँ अपने संकल्प को पूरा कर गयी बाकी ईश्वर जाने

( उर्मिला महर सिलकोटी-दीदी की कलम से)


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