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क्वारन्टीन केंद्र या……।

क्वारन्टीन केंद्र या……।
विक्रम बिष्ट
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विक्रम बिष्ट, गढ़ निनाद न्यूज़ * 24 मई 2020

नई टिहरी। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनकी संख्या 4 अंकों तक बढ़ने की पूरी संभावना है। 

इससे पहले हम इसे रोक सके तो यह हमारी जीत होगी। कोरोना से मौतों का आंकड़ा दहाई के अंक तक पहुंचे इससे अधिक राहत की बात इस विपत्ति काल में क्या हो सकती है।

समय आंकड़ों की बाजीगरी का नहीं है। इस लगभग आसन्न संकट से निपटने की हमारी कोई तैयारी नहीं है, यह पहले स्पष्ट था। 

पहले महामारी की रोकथाम के लिए लॉक डाउन और अब क्वारटीन केंद्रों का जाल। लॉक डाउन में तो पुलिस की मुख्य भूमिका थी, जितनी सफलता मिली उसका श्रेय भी पुलिस को ही दिया जाना चाहिए। नीतिगत स्तर पर हम कितने दूरदर्शी, संवेदनशील हैं, सच्चाई सामने आ ही गई है। 

रविंद्र कठैत को 4 दिन नई टिहरी में क्वॉरेंटाइन केंद्र में परिवर्तित एक निजी होटल में रखा गया और उनकी पहली रिपोर्ट नेगेटिव आई। कठैत  का कहना है कि सामान्य बुखार की दवा तो दूर गर्म पानी तक नहीं दिया गया। 

बालगंगा तहसील के चमोल गांव के दर्मियान सिंह की अपने गॉंव के क्वॉरेंटाइन केंद्र में मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर उसकी मौत का कारण बेतहाशा बढ़ा हुआ शुगर बताया गया है। 

यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जिन संदिग्धों को क्वॉरेंटाइन केंद्रों में रखा जा रहा है, क्या उनके स्वास्थ्य का जरूरी ख्याल रखा जा रहा है या नहीं? शुगर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर एवं हृदय संबंधी बीमारियों में खुली स्वस्थ हवा में सांस लेना, चहल कदमी आदि की सलाह दी जाती है। एक भयानक बीमारी के संदिग्ध को बिना उपचार और वांछित खाना पानी के अभाव में एक कमरे में बंद कर दिया जाए तो उसकी गत क्या होगी?  

ध्यान रहे कि वह अपने घर में नहीं है कि लॉक डाउन में छूट उठाकर अपनी दवाई की व्यवस्था खुद कर ले। तीमारदार की भी मनाई है। 

अब संकट पूरी गति से फैल रहा है, तो साधनहीन ग्राम प्रधानों, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के भरोसे हम इससे पार पा लेंगे यह संभव नहीं है। गांव में सामुदायिक भावना को तो चुनाव दर चुनाव तार किया जा चुका है। रही सही कसर सरकार के प्रवक्ता मंत्री पूरी कर रहे हैं। 

अभी तो यही डर है कि कोरोना क्वारनटीन केंद्र कुछ अन्य किस्म की त्रासदीपूर्ण सेंटर न बन जांय।

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Govind Pundir

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