बिग ब्रेकिंग: गैरसैंण को राजधानी और प्रताप नगर को जिला बनाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
कोर्ट ने कहा-ये सरकार का नीतिगत फैसला
गढ़ निनाद न्यूज़ * 3 जून 2020
नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने गैरसैंण को राजधानी और प्रताप नगर को जिला बनाने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह सरकार का नीतिगत फैसला है कोर्ट इसमें दिशा निर्देश जारी नहीं कर सकता है।जस्टिस भानुमति की पीठ ने याचिका ख़ारिज कर दी।
जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने देहरादून के एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गैरसैंण को राजधानी घोषित करने का निर्देश देने की मांग की थी। पीठ ने कहा, ये नीतिगत फैसले हैं और इसमें हम कोई निर्देश नहीं दे सकते। बता दें कि पूर्व में इसके लिए गठित दीक्षित आयोग ने अपनी जांच में गैरसैंण को राजधानी बनाने लायक नहीं पाया था।
बता दें कि भराड़ीसैंण में आयोजित विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का एलान कर सबको चौंका दिया था। इस फैसले से कांग्रेस तक को संभलने का मौका नहीं मिला था। इसके बाद कांग्रेस ने स्थायी राजधानी का शगूफा छोड़ते कहा कि हमे ग्रीष्म कालीन नहीं स्थायी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि कांग्रेस यह स्पष्ट कर चुकी है कि सत्ता में आते ही वह गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाएगी।
वहीं राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि आंदोलनकारी पहले से ही स्थायी राजधानी की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश जारी करने से मना किया है। यह नहीं कहा कि स्थायी राजधानी न बनाई जाए।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गैरसैंण राज्य निर्माण की अवधारणा का सवाल और पहाड़ की समस्याओं का निदान है। पहाड़ की विकट समस्याओं से निजात पाने, पलायन रोकने, रोजगार बढ़ाने और संस्कृति के संरक्षण के लिए आंदोलन और शहादतें हुईं तो राज्य मिला। पहाड़ की राजधानी पहाड़ में नहीं होगी तो कहां होगी? न्यायालय का तर्क सही है कि यह नीतिगत मामला है और इसे राज्य सरकार को ही तय करना है।
भाकपा नेता इंद्रेश मैखुरी ने पक्ष में कहा कि गैरसैंण पहाड़ की जनाकांक्षाओं व जन भावनाओं की प्रतीक है। उसे राजधानी घोषित करना चाहिए। 1994 में रमा शंकर कमेटी से लेकर 2008 के दीक्षित आयोग तक सरकारों ने इस नीतिगत मसले को लटकाए रखा। इस पर निर्णय होना चाहिए।
प्रदेश मीडिया प्रभारी भाजपा अजेंद्र अजय का कहना था कि भाजपा सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है। सरकार ने इस एतिहासिक फैसले से राज्य आंदोलन के शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं का सम्मान किया।
वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस किशोर उपाध्याय ने पक्ष रखा कि मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि एक राज्य की दो राजधानियां नहीं हो सकती। भाजपा सरकार को यह तय करना होगा कि राजधानी देहरादून है या गैरसैंण। भाजपा चाहती तो आज राजधानी की पहेली राज्य बनने के समय ही हल हो जाती। लेकिन केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने दो गलत फैसले किए। नैनीताल मे हाईकोर्ट और देहरादून को अस्थाई राजधानी बना दिया। अब सरकार नीतिगत फैसला करे कि वह स्थायी राजधानी कहां बना रही है।